दो वर्षों से श्रमिको को नहीं मिला तेंदुपत्ता का बोनस
दो वर्षों से श्रमिको को नहीं मिला तेंदुपत्ता का बोनस, समितियों के द्वारा विभाग को नहीं किया गया तेंदुपत्ता का भुगतान, डिफाल्टर समितियों को सौंपा गया था तेंदुपत्ता संग्रहण का कार्य
सीधी। कमलनाथ सरकार के द्वारा अपना वचन पत्र पूर्ण करते हुए तेंदुपत्ता बोनस मे बड़ोत्तरी कर दी है, किंतु जिले के करीब २० हजार श्रमिको को बीते दो वर्ष से बोनस का ही वितरण नहीं किया गया, जिसके चलते श्रमिक विभागों का चक्कर काटने को मजबूर हैं। वर्ष २०१८ से किसानों को बोनस का वितरण नहीं किया गया है। वन विभाग व समितियों की लापरवाही से बोनस की राशि अब तक संग्राहकों के खाते में नहीं पहुंच सकी है।
विधानसभा चुनाव को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आतिथ्य मे वर्ष २०१७ का तेंदुपत्ता बोनस का वितरण किया गया था, चुनाव संपन्न हो जाने के बाद बोनस वितरण पर विराम लग चुका है। उल्लेखनीय है कि तेंदुपत्ता संग्रहण कार्य मे ज्यादातर आदिवासी श्रमिक शामिल रहते हैं, आदिवासियों का बोट साधने के लिए सभी सरकारें भभ्य कार्यक्रम का आयोजन कर बोनस का वितरण करती हैं, किंतु कमलनाथ की सरकार आने के बाद अभी तक एक भी मर्तवा बोनस का वितरण नहीं किया गया।
समितियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है भुगतान-
समितियों के द्वारा श्रमिकों से तेंदुपत्ता की खरीदी की गई है, खरीदी के बाद वन विभाग को समितियों के द्वारा भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया गया, निर्धारित समय पर यदि समितियों के द्वारा भुगतान नहीं किया जाता तो उन्हें डिफाल्टर घोषित करते हुए कलेक्टर के माध्यम से आरसीसी नोटिस जारी कर उनकी संपत्ति की नीलामी कर श्रमिकों को लाभांश का वितरण करना चाहिए किंतु समितियों पर वन विभाग की मेहरवानी बनी हुई और उनके द्वारा भुगतान न करने वाली समितियों को डिफाल्टर नहीं घोषित किया जा रहा है, जिसके कारण श्रमिकों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पा रहा है।
५८ समितियों के द्वारा की गई है खरीदी-
जिले मे दो सत्रों मे ५८ समितियों के द्वारा तेंदुपत्ते की खरीदी की गई है। सत्र २०१८-१९ मे ३६ समितियों के द्वारा तेंदुपत्ते की खरीदी की गई है, वहीं सत्र २०१९-२० मे २६ समितियों के द्वारा खरीदी की गई है, किंतु इन मेसे एक भी समितियों के द्वारा आज दिनांक तक भुगतान नहीं किया गया है, जिसके कारण श्रमिकों को बोनस का वितरण नहीं हो पा रहा है।
हर साल होता है विलंब-
जिले के करीब २० हजार कार्डधारी संग्राहकों के लिए करोड़ो रुपए की राशि समितियों के द्वारा वन विभाग को नहीं जमा की गई है। लेकिन दो वर्ष से राशि को खाते में नहीं डाला गया है। बोनस वितरण में वन विभाग द्वारा हर साल इसी तरह विलंब किया जाता है। बोनस की राशि मे इजाफा घोषित करने के बाद भी श्रमिकों को बोनस का दो वर्ष से इंतजार है।
जूता-चप्पल का भी नहीं हुआ वितरण-
पूर्व की मप्र की सरकार के द्वारा तेंदुपत्ता की तुड़ाई का कार्य करने वाले श्रमिको को बोनस के साथ अतिरिक्त तोहफा वितरण करने के निर्देश दिए थे, एक वर्ष जिसका वितरण भी किया गया था। जिसमें बोनस के साथ जूता, चप्पल, साडी व पानी का वाटल वितरण करना था किंतु अभी तक दो वर्ष का यह गिफ्ट का भी वितरण नहीं किया गया है।
समितियों से राशि मिलने के बाद किया जाएगा भुगतान-
समितियों के द्वारा दो वर्ष का अभी तक भुगतान नहीं किया गया है, राशि जमा करने के बाद लाभांश का आंकलन करने के बाद श्रमिको को भुगतान किया जाएगा।
पीपीएस परिहार
उपवनमंडलाधिकारी, वन विभाग सीधी
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