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शामली

‘500 रुपये महीने से क्या होता है… हम भिखारी हैं क्या’

कांधला के किसान रामसिंह का कहना है कि 500 रुपये से क्या होता है… क्या हम भिखारी हैं।

शामलीFeb 02, 2019 / 06:27 pm

Rahul Chauhan

शामली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को केंद्र सरकार के बजट से काफी उम्मीदें थी, लेकिन यह बजट उन्हें खुश करने में नाकाम साबित हुआ है। भले ही सरकार की आेर से छोटे किसानों को 6 हजार रुपये वार्षिक यानी 500 रुपये प्रतिमाह देने की बड़ी घोषणा कर दी हो। इस पर कांधला के किसान रामसिंह का कहना है कि 500 रुपये से क्या होता है… क्या हम भिखारी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती तो खाद्य-बीज पर सब्सिडी दे सकती थी। चीनी मिल वाले बकाया भुगतान करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में इस 500 रुपये की खैरात से हमारा क्या भला होगा।
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बता दें कि लंबे समय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना बेल्ट के किसान भुगतान को लेकर परेशान हैं। गन्ने का भुगतान नहीं होने की वजह से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। इसके लिए वे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी गुहार लगा चुके हैं। इस पर सीएम योगी ने जल्द ही भुगतान के आदेश जारी किए थे, लेकिन अभी तक स्थिति ढाक के तीन पात जैसी ही है। वहीं आवारा पशुआें द्वारा फसल के नुकसान से उन पर दोहरी मार पड़ रही है। यही वजह है कि दिल्ली-शामली रोड के पास स्थित कांधला लोगों को अंतरिम बजट से बड़ी अास थी। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत छोटे किसानों को वार्षिक छह हजार रुपये की मदद दिए जाने का ऐलान किया है, लेकिन इससे किसान बेहद नाराज हैं। किसानों के मुताबिक यह राहत नाकाफी है।
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किसान बेल्ट के लिलन गांव निवासी अमित चौधरी का कहना है कि उन्हें मोदी सरकार के इस अंतरिम बजट से काफी उम्मीदें थीं। उन्होंने कहा कि बजट में किसानों की भलाई के लिए कई कदम उठाए जाने की आस थी, लेकिन बजट में ऐसा कोई खास ऐलान नहीं किया गया है। वहीं किसान राज चौधरी कहते हैं कि इन 6 हजार रुपये में क्या होता है? खाद और कीटनाशकों का खर्च ही कर्इ हजार होता है। ऐसे में 500 रुपये प्रतिमाह से किसानों का आखिर क्या भला होगा? उन्होंने कहा कि इसके स्थान पर सरकार उनका चीनी मिल मालिकों पर गन्ने का बकाया दिलवाने के कदम उठाती तो ज्यादा अच्छा होता।

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