बता दें जिला अस्पताल का पुराना भवन जर्जर होने लगा था। ऐसे में इसके पीछे सीएमएचओ कार्यालय के समीप नए भवन का निर्माण कराया गया। पूर्व में इसे ट्रामा सेंटर के रूप में बनाया गया था, लेकिन कोविड काल में इसमें अस्पताल शिफ्ट कर दिया गया। इसके चलते यह भवन जिला अस्पताल के रूप में काम आने लगा। वर्तमान में ट्रामा सेंटर का भवन पूरी तरह से जिला अस्पताल के रूप में काम में लिया जा रहा है। पुराने भवन में भी सर्जिकल वार्ड सहित अन्य वार्ड के मरीजों को रखा जा रहा है। अब नए भवन का निर्माण होने के बाद ज्यादा मरीजों को उपचार दिया जा सकेगा। अन्य आधुनिक सुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी।
एक तरफ तोड़ रहे, दूसरी तरफ वार्ड में भर्ती मरीज
पुराने भवन को तोडऩे का काम धीरे-धीरे चल रहा है। एक ओर से भवन को तोड़ा जा रहा है। वहीं जहां पर भवन को तोड़ा गया है उसके ठीक पास में वार्ड में मरीज भर्ती हैं। हालांकि जिस क्षेत्र में तोडफ़ोड़ की गई वहां पर जाने वाले मार्ग को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया है।
8 साल पहले ढह गई थी छत
पुराने भवन की छत कमजोर हो रही थी। ऐसे में पूर्व प्रबंधन ने अस्पताल में मरम्मत कराई। 6 दिसंबर 2014 को जच्चा वार्ड की मरम्मत का काम चल रहा था। मरम्मत के लिए इसके करीब एक सप्ताह पहले ही यहां से सभी प्रसूताओं को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया था। इसके बाद मजदूर काम कर रहे थे। इसी दौरान अचानक छत ढह गई थी। इसकी चपेट में आने से एक मजदूर घायल हो गया था। इस हादसे के बाद जिला अस्पताल के नए भवन के लिए कवायद शुरू हुई थी।
नया भवन बनने पर 300 मरीजों को भर्ती करने की हो जाएगी क्षमता
ट्रामा सेंटर के जिस भवन में वर्तमान में जिला अस्पताल संचालित हो रहा है वहां पर 200 बेड हैं। नया भवन बनाया जाएगा तो 100 बेड की व्यवस्था रहेगी। इससे मरीजों को यहां राहत मिलेगी। जिला अस्पताल में शाजापुर, आगर, राजगढ़ और उज्जैन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से भी मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। औसत रोज 600 और इससे ज्यादा मरीज उपचार के लिए आते हैं। 100 बेड का नया भवन बनने के बाद अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने की क्षमता 300 तक हो जाएगी।
निर्माण करवाया जा रहा है
जिला अस्पताल के पुराने भवन को डिस्मेंटल करके 100 बेड के अस्पताल का भवन बनाया जा रहा है। अस्पताल के भवन को एक ओर से तोड़ा जाकर निर्माण कराया जा रहा है।
डॉ. बीएस मैना, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल-शाजापुर