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विशेषज्ञों के मुताबिक, इस सौर तूफान की स्पीड 1260 किमी प्रति सेकेंड की है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह सौर तूफान शनिवार या रविवार को किसी भी समय धरती से टकरा सकता है। तूफान के धरती पर पहुंचने से पहले ही अमरीका के एक हिस्से में अस्थायी तौर पर रेडियो सिग्नल ब्लैकआउट हो गया है।
इस सौर तूफान को अपनी तरह का सबसे शक्तिशाली एक्स 1-क्लास सोलर फ्लेयर के रूप में जाना जाता है। नासा के अधिकारियों ने इसे महत्वपूर्ण सोलर फ्लेयर करार दिया है। इस सौर तूफान को अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी के रियल टाइम वीडियो में कैप्चर भी किया गया है।
सोलर फ्लेयर की सबसे शक्तिशाली श्रेणी को एक्स क्लास के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ताकत के घटते क्रम में इन्हें एम, सी, बी और ए क्लास के नाम से जाना जाता हैं। इस सौर तूफान से 30 अक्टूबर को अमेरिका में मनाए जाने वाले हैलोवीन त्योहर पर असर पड़ सकता है।
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सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।
वर्ष 1989 में आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे के के लिए बिजली गुल हो गई थी और लाखों लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। इसी तरह से वर्ष 1859 में आए चर्चित सबसे शक्तिशाली जिओमैग्नेटिक तूफान ने यूरोप और अमेरिका में टेलिग्राफ नेटवर्क को तबाह कर दिया था।
इस दौरान कुछ ऑपरेटर्स ने बताया कि उन्हें इलेक्ट्रिक का झटका लगा है जबकि कुछ अन्य ने बताया कि वे बिना बैट्री के अपने उपकरणों का इस्तेमाल कर ले रहे हैं। नार्दन लाइट्स इतनी तेज थी कि पूरे पश्चिमोत्तर अमेरिका में रात के समय लोग अखबार पढ़ने में सक्षम हो गए थे।