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एक तरफ भर चुके हैं राज्य के सभी डैम, दूसरी तरफ 10 साल में सबसे नीचे पहुंचा इस बड़े बांध का जलस्तर, सूखने की कगार पर

बाणसागर बांध का जलस्तर 10 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा। अच्ची बारिश नहीं हुई तो सूख सकता है डैम।

सतनाJul 24, 2022 / 03:34 pm

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एक तरफ भर चुके हैं राज्य के सभी डैम, दूसरी तरफ 10 साल में सबसे नीचे पहुंचा इस बड़े बांध का जलस्तर, सूखने की कगार पर

सतना. मध्य प्रदेश के अधिकतर इलाकों में हो रही मुसलाधार बारिस के चलते एक तरफ जहां प्रदेश के सभी डैम लबालब भर चुके हैं तो अधिकतर डैमों का जल स्तर पूरा होने के कारण कई गेट खोले भी जा चुके हैं। ऐसे समय में मद्य प्रदेश के बड़े बांदों में से एक माना जाना वाला बाणसागर डैम सूखने की कगार पर आ पहुंचा है। विंध्य क्षेत्र के बड़े हिस्से में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराने वाले बाणसागर बांध की स्थिति इस वर्ष भी चिंताजनक बनी हुई है। बांध में पानी की आवक बढ़ने के बजाय लगातार घटती जा रही है। बांध के ऊपरी हिस्से में बारिश कमजोर होने से बड़ी मात्रा में अभी खाली है।

बीते 10 वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो 22 जुलाई की स्थिति में बांध का इस साल का जलस्तर सबसे कम है। बारिश कम होने से जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की भी चिंता बढ़ने लगी है, क्योंकि बाणसागर बांध मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार तीन राज्यों की ये बहुउद्देश्यीय परियोजना है, जिसमें 50 फीसदी मध्य प्रदेश और 25-25 फीसदी पानी उक्त दोनों राज्यों के हिस्से में आता है। अगर बारिश पर्याप्त नहीं होगी तो जो भी मात्रा रहेगी, उसमें अपने-अपने हिस्से का पानी तीनों राज्य लेंगे।

बीते दो दिन में जलस्तर में आई गिरावट की बात करें तो करीब 15 सेंटीमीटर से अधिक नीचे जलस्तर चला गया है। 21 जुलाई को सुबह 8 बजे 333.18 सेंटीमीटर जलस्तर था तो रात्रि के 8 बजे ये 333.11 सेमी हो गया। 22 जुलाई की सुबह 8 बजे 333.08 हुआ तो रात्रि के 8 बजे ये 333.01 सेमी पहुंच गया। बांध के पानी का नीचे जाने का ये क्रम हर दिन का है। बांध के जलभराव की जो क्षमता है, उसमें 35 प्रतिशत पानी ही बचा है। किसानों द्वारा धान की रोपाई के लिए नहरों में पानी छोड़ने की लगातार मांग की जा रही थी, जिससे पानी छोड़ा गया है। पानी छोड़े जाने की वजह से बांध के पानी में लगातार कमी बनती जा रही है। जानकारों का मानना है कि, अगर इस साल इलाके में पर्याप्त बारिश नहीं हुई तो डैम सूख भी सकता है।


बिहार में भी बारिश कम होने से मांगा पानी

बिहार राज्य अपने हिस्से का पानी समय-समय पर सोन नदी के जरिए ले जाता है। इस साल वहां पर भी अभी बारिश कम हुई है, जिसके चलते कुछ दिन पहले ही वहां के अधिकारियों ने जलसंसाधन विभाग से संपर्क कर कहा है कि, अगर सप्ताहभर के भीतर बारिश नहीं होगी तो बिहार अपने राज्य का कुछ हिस्सा पानी ले सकता है। इधर, विंध्य में भी बारिश कम होने के चलते किसानों की ओर से धान की रोपाई के लिए पानी की मांग उठाई गई थी।

2020 69 338.43 सेमी

2019 50 335.74 सेमी

2018 42 334.24 सेमी

2017 41 333.74 सेमी

2016 51 335.83 सेमी

2015 53 336.20 सेमी

2014 50 335.77 सेमी

2013 49 335.56 सेमी

2012 50 335.62 सेमी

नोट: जलभराव क्षमता से अभिप्राय संबंधित वर्ष में कुल क्षमता के तत्कालिक भराव प्रतिशत से है।

 

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