बताया जा रहा है कि जिले में एक बार इस्तेमाल की गई पीपीई किट को नष्ट करने की बजाय उसे गर्म पानी से धोकर दोबारा सप्लाई किया जा रहा है। इसका खुलासा सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो से हुआ। उसके बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आया और मामले की जांच का आदेश जारी किया।
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय स्तर से जारी गाइड लाइन में काफी पहले ही स्पष्ट किया गया है कि एक बार इस्तेमाल पीपीई किट का इस्तेमाल दोबारा नहीं किया जा सकता। गाइड लाइन के मुताबिक पीपीई किट, ग्लब्स और मास्क को एक बार ही इस्तेमाल किया जाना है। इन्हें सार्वजनिक स्थल पर नहीं फेंक जाना है। इन्हें वैज्ञानिक तरीके से बायोवेस्ट डिस्पोजल प्लांट में नष्ट कराने का प्रावधान है। लेकिन सतना में नियमों को ताक में रखते हुए लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि बड़खेरा बायोवेस्ट डिस्पोजल प्लांट में सिंगल यूज पीपीई किट को गर्म पानी में धोकर बंडल बनाकर कबाड़ी के माध्यम से सतना और भोपाल के खुले बाजार में दोबारा फ्रेश पीपीई किट के तौर पर बेचा जा रहा है। इससे संबंधित वीडियो वायरल हुआ तो हड़कंप मच गया है। मौके पर एसडीएम और पुलिस बल पहुंचा और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई। एसडीएम राजेश शाही ने मौके का निरीक्षण कर जांच की। एसडीएम का कहना है कि जांच के आधार पर जल्द ही फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यहां बता दें कि शासन की गाइडलाइन के तहत इस्तेमाल पीपीई किट, ग्लब्स और मास्क को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने के लिए उसे बड़खेरा में इंडो वाटर बायोवेस्ट डिस्पोजल प्लांट में भेजा जाता है। लेकिन प्लांट में ऐसा नहीं किया जा रहा है। आरोप है कि यहां लगे कर्मचारी प्लांट प्रबंधन के इशारे पर पीपीई किट को गर्म पानी से धोकर बाकायदा अलग बंडल बनाकर रख देते हैं। इसके बाद गोपनीय तरीके से इसे बेच दिया जाता है।
मंगलवार देर रात करीब 11 से 12 बजे के बीच एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ जो बुधवार को भी जारी रहा। जांच में पता चला कि बड़खेरा गांव के एक स्थानीय युवक ने चोरी-छिपे बायोवेस्ट डिस्पोजल प्लांट के अंदर चल रही करतूत की वीडियो बनाई जिसमें सारा खेल स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। पीपीई किट और ग्लब्स के अलग-अलग बंडल बनकर तैयार है, जिसको बाकायदा एक टब में गर्म पानी डालने के बाद धोकर सुखाया जाता है। इसके बाद प्लांट के अंदर काम कर रहे मजदूर बंडल तैयार करते हैं, जो कि नए बंडल की तरह दिखने लगता है। साथ ही बंडल बनाते समय कलर का भी ध्यान दिया जाता है।
जानकारी के मुताबिक बायो वेस्ट डिस्पोजल प्लांट के रखरखाव व देखरेख की जिम्मेदारी प्रदूषण विभाग, जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग की होती है लेकिन किसी भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कभी भी मौके पर नहीं जाते। ऐसे में बायोवेस्ट एजेंसी मनमानी तरीके से कार्य कर रही है।
बड़खेरा पोस्ट भटनवारा जिला सतना में इंडो वाटर मैनेजमेंट एवं पॉल्यूशन कंट्रोल कारपोरेशन नाम से, अमोल मोहने का प्लांट बस्ती में स्थित है। विगत वर्षों से प्लांट के लापरवाही पूर्वक संचालन की शिकायत संबंधित विभाग में की जा रही हैं लेकिन सुधार के नाम पर समय लेकर मामले को दबा दिया जाता है। वर्तमान में स्थिति बेहद चिंताजनक व खराब हो चुकी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे 24 घंटे 7 दिन कचड़ा, धुआं व दुर्गंध निकलती है। इंसुलेटर सही ना होने की वजह से कचरा खुले में जला दिया जाता है। दुर्गंध व धुएं की वजह से घरों में रहना मुश्किल हो रहा है। सांस लेने में तकलीफ, बेहोश होना, उल्टियां, आंखों में जलन, बेचैनी जैसी समस्या बढ़ती जा रही है। लोगों का कहना है कि यहां प्रदूषण विभाग के अधिकारी को भी प्रतिदिन का वीडियो फोटो भेजा जाता है लेकिन अधिकारियो के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती, उल्टे शिकायत न करने को दबाव बनाया जाता है। प्लांट के बगल से आदिवासी बस्ती मध्य प्रदेश शासन का गौशाला, शासकीय माध्यमिक विद्यालय तथा आवासीय क्षेत्र स्थित है। ग्रामीणों द्वारा प्रदूषण के विरोध में धरना प्रदर्शन व आंदोलन किया जाता रहा है। इस मामले में 11 अक्टूबर 2020 में सीएमएचओ ने प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भी पत्र लिखा था। लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं की गई।