शहर के जलाशयों को सरंक्षित कर उन्हें पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने वर्ष 2012 में नगर निगम द्वारा तालाब संरक्षण का प्रोजेक्ट पास किया गया था। तत्कालीन महापौर पुष्कर सिंह तोमर की पहल पर निगम इंजीनियरों ने शहर के छह प्रमुख तालाबों का सीमांकन कर उनके सौंदर्यीकरण की फाइल तैयार की थी। लेकिन, अतिक्रमण की भेंट चढ़ते जा रहे तालाबों के सीमांकन में राजस्व विभाग द्वारा अपेक्षित सहयोग न मिलने से छह तालाबों के कायाकल्प की फाइल आज भी नगर निगम में धूल खा रही है।
शहर के जलाशयों की चिंता करने वाले लोगों का कहना है कि चाहे सिंधी कैम्प तालाब हो या जगतदेव तालाब, धवारी तालाब हो या बंजरहा तालाब, 20 साल पहले तक इनकी परिधि 15 एकड़ से अधिक थी। लेकिन, जिला एवं निगम प्रशासन तालाबों के संरक्षण को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखा।
दो करोड़ की लागत से शहर के जिन तालाबों के कायाकल्प का प्रस्ताव पास किया गया था उनमें नारायण तालाब, जगतदेव तालाब, धवारी तालाब, सिंधी कैम्प तालाब, अमौंधा तालाब तथा बंजरहा तालाब शामिल हैं।
जगतदेव तालाब, धवारी तालाब, नारायण तालाब, अमौंधा तालाब, बंजरहा तालाब, संतोषी माता तालाब, सिंधी कैम्प तालाब, व्यंकटेश्वर मंदिर तालाब, नई बस्ती तलइया तालाब की सुरक्षा और संरक्षा निगम प्रशासन ही नहीं हर नागरिक की जिम्मेदारी है। शहर के छह तालाबों को संरक्षित करने व सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव दो साल से पास है पर निगम प्रशासन की लापरवाही से कायाकल्प अधर में लटका है। एमआइसी में मैंने तालाबों का सीमांकन कराकर सौंदर्यीकरण शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
ममता पाण्डेय, महापौर