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चित्रकूट में ऐतिहासिक ग-धा मेले का आयोजन
ऐतिहासिक ग-धा मेले में कई राज्यों के व्यापारी चित्रकूट मेले में पहुंचे। यहां 5 हजार से लेकर से 50 हजार रुपये तक के गधे की बिक्री हुई। हालांकि, कोरोना संकट के चलते ये बाजार पिछले वर्षों के मुकाबले काफी मंदा रहा और इस बार जानवर भी काफी कम ही आए। मेला 3 दिवलीय होता है, जिसका समापन सोमवार को होगा। बता दें कि, ग-धा मेला लगवाने की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब ने चित्रकूट में की थी। 500 से अधिक वर्षों से चित्रकूट मंदाकिनी किनारे लगता आ रहा है ये ग-धा बाजार मेला, दूर-दूर से लोग गधे की खरीदारीऔर बेचने के लिए चित्रकूट पहुंचे हैं।
चित्रकूट दीपदान मेला
मेले के अंतिम दिन चित्रकूट में भगवान श्री कृष्ण के उपासक मौन चराने वाले श्रद्धालुओं कर रहे विशेष पूजा अर्चना, विशेष दान दक्षिणा व गौ दान कर रहे मौनिहे, दिवारी नृत्य का कर रहे प्रदर्शन, मोर पंख लिए मंनमोहक नृत्य का प्रदर्शन, लठमार मार दीवारी की प्रस्तुति, चित्रकूट में दिवारी नृत्य की गूंज, गोवर्धन पूजा शुरु हुई, रंग बिरंगी पोशाकों से दिवारी नृत्य और मौन चढ़ाने का सिलसिला श्रद्धालुओं द्वारा किया गया।
विधायक ने किया उत्साह वर्धन
क्षेत्र के विधायक चित्रकूट नीलांशु चतुर्वेदी के निवास राजमहल में परम्परा गत तरीके से दिवारी नृत्य करने विधानसभा के कई गांव के कलाकार पहुंचे। इस दौरान, मयूर नृत्य और लठमार दिवाली खेल का प्रदर्शन किया गया। दिवारी का प्रदर्शन करने यहां हर साल आसपास के कई गांवों के लोग पहुंचते हैं। इस दौरान चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन किया।
सुबह से ही चित्रकूट में लग गया श्रद्धालुओं का तांता
धर्म नगरी चित्रकूट में रविवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की चित्रकूट में भारी भीड़ मंदाकिनी में स्नान कर कामदगिरि की परिक्रमा करती नजर आई। कामत की प्राचीन मुखारविंद में सुबह 5 बजे श्रद्धालु आरती और दर्शन करते हुए देखे गए। इसके बाद श्रद्धालुओं ने रामघाट और भरतघाट में आस्था की डुबकी भी लगाई। सती अनुसुइया मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई। इससे पहले रात को कामदगिरि भगवान की पूजा कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर उन्हें दीपदान किया गया। इस दौरान लोगों ने नौतियां भी बांधी।