सरेनी सीट पर 1957 में पहली बार चुनाव हुआ तो इस सीट पर कांग्रेस के गुप्तार सिंह ने बाजी मारी। इस चुनाव के बाद यहां 1962, 1967 और 1969 में भी गुप्तार सिंह जीतते चले गए और उन्हे कोई नहीं रोक पाया। इसके बाद वर्ष 1972 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी केआर सिंह ने फिर से कांग्रेस काे इस सीट पर जीत दिलाई। इस चुनाव के बाद 1974 में कांग्रेस प्रत्याशी शिवशंकर को जनता ने चुना। 1977 और फिर 1980 में इस सीट पर कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ी सुनीता चौहान काे जनता ने चुना। इसके बाद 1985 में निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र बहादुर सिंह ने यहां कांग्रेस काे टक्कर दी। यह अलग बात रही कि निर्दलीय प्रत्याशी की यह जीत लंबी नहीं चली और 1989 में एक बार फिर से यहां कांग्रेस जीत गई, लेकिन उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहा और कांग्रेस यहां जीतती रही।
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Salon Assembly seat : सलोन विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए जीत दोहराना बड़ी चुनौती 1991 में पहली बार खुला भाजपा का खाता 1991 में पहली बार इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का खाता खुला। इसके बाद हुए 1993 के चुनाव में भी भाजपा को ही जीत मिली और लगातार दो बार भाजपा जीती। इसके बाद 1996 में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अशोक सिंह ने और 2002 के चुनाव में प्रत्याशी देवेंद्र सिंह ने भाजपा को यहां मात दे दी। इस तरह सपा इस सीट पर लगातार दो बार जीती। 2007 के चुनाव में अशोक सिंह इस सीट से चुनाव जीत गए। इस बार यूपी में कांग्रेस सत्ता में आई लेकिन 2012 में सपा प्रत्याशी देवेंद्र प्रताप सिंह दोबारा इस सीट पर चुने गए। इसके बाद वर्ष 2017 में यह सीट फिर से भाजपा के खाते आ गई। यहां इस बार धीरेंद्र बहादुर सिंह जीते। यहां यह भी बताना जरूरी है कि इस सीट पर आज तक बसपा का खाता नहीं खुल सका।
प्रमुख समस्याएं सरेनी विधानसभा क्षेत्र को बरेली की तरह ही कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है, लेकिन यहां के लोगों के पास काम धंधों की बेहद कमी है। रोजगार की तलाश में युवकों को अपना क्षेत्र छोड़कर शहर जाना पड़ता है। रायबरेली के साथ यहां भी भी पेयजल गंभीर समस्या है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के साधन की कमी है। शारदा सहायक जरूर यहां से गुजरती है, लेकिन उसके बावजूद अधिकतर किसानों को उसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। वहीं, हमेशा की तरह बिजली, सड़क और पानी की समस्या भी बरकरार है।
2017 के चुनाव परिणाम – भाजपा प्रत्याशी धीरेंद्र बहादुर सिंह को 65873 मत मिले। – बसपा प्रत्याशी ठाकुर प्रसाद यादव को 52866 मत मिले। – कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह को 42232 मत मिले।
– जीत का अंतर 12987 मतों का रहा था। 2012 के चुनाव परिणाम – सपा प्रत्याशी देवेंद्र प्रताप सिंह को 61666 मत मिले। – बसपा प्रत्याशी सुशील कुमार को 48747 मत मिले।
– कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह को 47593 मत मिले। – पीईसीपी सुरेंद्र बहादुर सिंह को 9769 मत मिले। – जीत का अंतर 12919 मतों का रहा था। यह भी पढ़ें-
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