दरअसल, संभल लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है। यहां से गठबंधन प्रत्याशी डॉ. शफीकुरर्रहमान बर्क के सामने कोई भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है। ऐसे में मुसिलम वोट बंटने की संभावना बिल्कुल ही खत्म हो गई है। इसका असर चुनाव प्रचार पर भी साफ देखा जा रहा है। संभल शहर में अभी तक किसी पार्टी ने कोई सभा नहीं की है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि आने वाले आठ दिनों में भी संभल शहर के नाम से प्रशासन के पास कोई कार्यक्रम की सूचना नहीं है। लिहाजा, अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार संभल शहर दिग्गज नेताओं की सभाओं से वंचित रह जाएगा।
संभल लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद से ही चर्चाओं में रही है। इस सीट से मुलायम सिंह यादव दो बार सांसद रहे हैं। फिर उनके भाई प्रो. रामगोपाल यादव और बाहुबली डीपी यादव जैसे चर्चित चेहरे संभल सीट से संसद तक का सफर तय कर चुके हैं।
लिहाजा, इससे पहले संभल के चुनावी माहौल में हमेशा ही दिग्गजों का आना-जाना आम बात रही है। मगर इस बार के लोकसभा चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ है कि अब तक संभल शहर में एक भी चुनावी सभा नहीं की गई है।
सबसे खास बात ये है कि आने वाले आठ दिनों में भी संभल नगर के नाम से प्रशासन के पास कोई कार्यक्रम की सूचना नहीं है। इसके साथ ही यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि इस बार संभल शहर दिग्गज नेताओं की सभाओं से वंचित रह जाएगा।
लेकिन राजनीतिक जानकार इसकी बिल्कुल ही अलग वजह बता रहे हैं। उनके मुताबिक इस बार गठबंधन ज्यादा हुए हैं। इसलिए दिग्गज नेताओं और प्रत्याशियों का फोकस सीधा गठजोड़ वाले मतदाताओं पर ज्यादा है। इसलिए सभी बड़े नेता चुनावी सभाएं ऐसे जगहों पर ज्यादा करना पसंद कर रहे हैं, जहां गठजोड़ मतदाताओं को लुभाया जा सके।