कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की
सांसद इकरा हसन ने संभल हिंसा को लेकर कहा, “मस्जिद में सर्वे के दौरान पुलिस अपने साथ भीड़ लेकर गई थी। ऐसे में प्रशासन को पहले ही सुनिश्चित करना चाहिए था कि भीड़ न पहुंचे। अगर पुलिस उन्हें लेकर गई है, तो उनकी मंशा पर हमें शक है। हमें लगता है कि इस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। मस्जिद के पास जिस तरीके से यह घटना हुई है, यह संवेदनशील मामला है। सर्वे का जो आदेश था, वह एक्स पार्टी द्वारा पारित किया गया था, और जब तक हमारी सभी अपील का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक हमें लगता है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर कोई भी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।”
सख्ती से लागू हो ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’
सांसद इकरा हसन ने आगे कहा, ” ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ स्पष्ट रूप से कहता है कि 1947 में जिस स्थल का धार्मिक स्वरूप जो था, वह वैसे का वैसा ही रहेगा। ऐसे में यह मांग है कि ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ को सख्ती से लागू किया जाए और इस तरह के संवेदनशील मामलों में तत्काल कार्रवाई से बचा जाए।” संभल हिंसा को सपा प्रमुख ने बताया सोची समझी साजिश
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा, “संभल में जो घटना अचानक हुई है, वो एक सोची समझी-साजिश के तहत हुई है और संभल में भाईचारे को गोली मारने का काम हुआ है। देशभर में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों, जो बार-बार खुदाई की बातें कर रहे हैं, ये खुदाई हमारे देश का सौहार्द, भाईचारा, गंगा-जमुनी तहजीब को खो देगा।”
उन्होंने आगे कहा, “
यूपी विधानसभा के उपचुनाव 13 नवंबर को होना था। इन्होंने तारीख 13 नवंबर से बढ़ाकर 20 नवंबर कर दिया। संभल के शाही जामा मस्जिद के खिलाफ 19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन चंदौसी संभल में एक याचिका डाली गई। कोर्ट ने दूसरे पक्ष को सुने बगैर उसी दिन सर्वे के आदेश दे दिए। ये ताज्जुब की बात है। दो घंटे बाद सर्वे की टीम पुलिस बल के साथ संभल पहुंच गई।”