यह भी पढ़ें: चिलचिती गर्मी में रोजा रखने के लिए सेहरी और इफ्तार के इस मजहबी तरीके को आधुनिक डाइटिशियन ने भी सराहा
रमजान के दूसरें जुमा की नमाज में उलेमा-ए-किराम ने अमन और गुनाहों की तौबा एवं गर्मी से निजात के लिए रहमत की बारिश एवं मुल्क में भाईचारे और अमन-शांति बनाए रखने की दुआ की। नगर की प्रमुख मस्जिद मरकजी जामा मस्जिद में नमाज-ए-जुमा अदा कराते हुए मुफ्ती मोहम्मद आरिफ कासमी ने आह्वान किया कि अल्लाह और उसके रसूल के साथ मोहब्बत रखना हो तो गुनाहों को छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रमजान माह में अल्लाह रब्बुल इज्जत स्वंय रोजेदारों की इबादतों का सवाब देता है।
यह भी पढ़ें- रोजे से जुड़े हैरतअंगेज फायदे आए सामने, शोध करने वाले डॉक्टर भी रह गए हैरान
उन्होंने कहा कि अगर हमने अपने गुनाहों को छोड़ने की आदत नहीं डाली तो हमारे गुनाह हमारी इबादतों को मिटा देंगे। मुफ्ती आरिफ ने कहा कि गुनाहों से ही बीमारियां और प्राकृतिक आपदाएं आती हैं। दारुल उलूम की छत्ता मस्जिद में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दीन-ओ-ईमान पर अमल करने की हिदायत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अपने आप को गुनाहों से बचाओ और मेहनत और हलाल की कमाई करने वालो की ही अल्लाह रब्बुल इज्जत इबादत कबुल करते हैं। मदनी ने कहा कि अल्लाह का जिक्र कसरत के साथ करना चाहिए।
यह भी पढ़ें- माह-ए-रमजान का चांद दिखने के बाद देशभर में रोजा शुरू
इस दौरान उन्होंने जुमा की फजीलत बयां करते हुए कहा कि इस दिन अल्लाह के रसूल पर ज्यादा से ज्यादा दरूद भेजनी चाहिए। मस्जिद-ए-रशिदीया में मुफ्ती कारी अफ्फान मंसूरपुरी ने नमाज अदा कराई। नमाज के बाद उन्होंने आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने के साथ रमजान में इबादतों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अल्लाह रब्बुल इज्जत को आपसी मेलजोल को पंसंद किया है। उन्होंने कहा कि अपने-अपने पड़ोस का ख्याल रखना चाहिए चाहिए। भले ही वह किसी भी मजहब से तअल्लुक क्यों न रखते हो। दारुल उलूम की कदीम मस्जिद, आदीनी मस्जिद, काजी मस्जिद, मोहल्ला पठानपुरा की जामा मस्जिद, मोहल्ला किला की जामा मस्जिद समेत नगर की अन्य प्रमुख मस्जिदों में पेश-इमाम ने नमाज-ए-जुमा अदा कराई। जुमे की नमाज में हुई दुआ का असर कहें या अल्लाह की रहमत का नतीजा, लेकिन जुमे की रात पूरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगभग रातभर बारिश होती रही। इस बारिस से न सिर्फ गर्मी से राहत मिली है, बल्कि मवेशी और परिंदों के लिए भी जीना आसाम हो ग या है।