प्लांट परिसर से ही देउदह नदी निकलती है, पहाड़ क्षेत्र का पूरा पानी इसमें सिमटकर निकलता है। जिसकी वजह से कुछ समय के लिए काफी तेज गति से इसमें पानी आता है। यही वजह है कि लगातार सोलर पैनल, इनवर्टर, केबिल सहित अन्य उपकरण बह गए या फिर टूट गए हैं। तार फेसिंग को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है।
प्लांट में तीनों इकाइयों ने अपने यहां आंतरिक सड़कें भी बनाई थी, ये कच्ची सड़कें ही थी, तेज बहाव के चलते सड़कें कट गई हैं। बताया जा रहा है कि तीनों इकाइयों में करीब तीन किलोमीटर से अधिक दूरी की सड़कें बह गई हैं। इनमें आवागमन भी बंद हो गया है, जिससे कंपनियों के इंजीनियर और अन्य कर्मचारी एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसलिए यह अनुमान नहीं लगाया जा सका है कि प्लांट में कितना नुकसान हुआ है।
जिस तरह से प्लांट में पानी भरा है, उससे कई दिनों तक बिजली उत्पादन प्रभावित रहेगा। पहले ही १५० मेगावॉट बिजली का उत्पादन ठप हो गया था लेकिन अब फिर से बारिश के कारण और नुकसान की आशंका है। सोमवार की सायं कंपनियों ने बिजली उत्पादन रोक दिया। बताया जा रहा है कि वल्र्ड बैंक के सहयोग से इकाइयां यह अल्ट्रा मेगावॉट सोलर पॉवर प्लांट संचालित हैं, इसलिए वहां की टीम निरीक्षण करेगी, इसके बाद ही यहां पर बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो पाएगा। नुकसान कितने का हुआ अभी इसका आंकलन किया जा रहा है।
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एसएस गौतम, कार्यपालन यंत्री सौर ऊर्जा