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रीवा

जाति-संप्रदाय में उलझ कर रह गई सामाजिक उत्थान की सोच

टीआरएस कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी

रीवाMar 11, 2018 / 06:10 pm

Balmukund Dwivedi

national seminar in TRS college in rewa

national seminar in TRS college in rewa

रीवा. सामाजिक उत्थान जाति-संप्रदाय, भाषावाद व क्षेत्रीयता जैसे कुत्सित विचारों और भावनाओं में उलझ कर रह गया है।यह सामाजिक उत्थान में बड़ी बाधा बन रहे हैं।व्यक्ति के नैतिक व चारित्रिक पतन के लिए भी यही जिम्मेदार हैं। उक्त विचार रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्रा ने व्यक्त किया।
कुत्सित विचारों को उखाड़ फेंकना होगा
टीआरएस कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर प्रो. मिश्रा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्थान के लिए सर्वप्रथम कुत्सित विचार को व्यक्ति व समाज से उखाड़ फेंकना होगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष सक्सेना ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि सामाजिक उत्थान एक निरन्तर प्रयास है। जिसमें सरकारी व गैर सरकारी संगठन आजादी के बाद से अब तक लगे हैं। यह प्रयास चुनौती एवं विकास के साथ जुड़े है। एक सामाजिक वैज्ञानिक को एक वस्तुनिष्ठ रूप से विश्लेषण करते हुए नीति का निर्माण करने में योगदान देना होगा।
वैश्विक परिदृश्य में मजबूत हो रहा भारत
समाज कार्य विभाग की ओर से आयोजित संगोष्ठी में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट की प्रो. डॉ. प्रज्ञा मिश्रा ने कहा कि वैश्विक परिदृश्य में भारत की उपस्थिति दिनों-दिन प्रभावी होती जा रही है। इस पड़ाव में सामाजिक उत्थान की चुनौतियों व समाधान की ओर मिलजुल कर एक सार्थक कदम उठाना युग की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. वीके श्रीवास्तव ने कहा कि यदि समाज अपने अस्तित्व को बनाए रखना चाहता है तो उसके लिए यह आवश्यक है कि वह व्यक्तित्व के परम या सर्वोच्य मूल्यों की नियमित रूप से पूर्ति करता रहे।
समाज खो रहा नैतिक मूल्य
‘सामाजिक उत्थान की चुनौतियां एवं समाधान’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के आयोजक प्रो. अखिलेश शुक्ल ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस तरह तेजी के साथ समाज अपना नैतिक मूल्य खो रहा है। उसके मद्देनजर इस तरह की संगोष्ठियों का आयोजन और विषय पर चर्चा महत्वपूर्ण हो गया है। संगोष्ठी की शुरुआत सामाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. केके शर्मा ने की।
युवाओं के माध्यम से ही समाज का उत्थान संभव है
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. सत्येंद्र शर्मा ने कहा कि युवाओं के माध्यम से ही समाज का उत्थान संभव है।उन्हें अपने मन से निराशा व हताशा के भावों को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। महाविद्यालय के नियंत्रक डॉ. रामलला शुक्ल ने समाज उत्थान के लिए राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों के आयोजन को जरूरी बताया। इस अवसर पर प्रो. महेश शुक्ल, डॉ. केके सिंह, डॉ. संजय शंकर, डॉ. अजय शंकर पांडेय, डॉ. मधुलिका श्रीवास्तव सहित अन्य प्राध्यापक व शोध छात्राएं उपस्थित रहीं।

तकनीकी सत्र में प्रस्तुत किए गए शोध पत्र
राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के बाद प्रो.महेश शुक्ल की अध्यक्षता में तकनीक सत्र का आयोजन किया गया। तकनीकी सत्र में बतौर विशेषज्ञ प्राध्यापकों द्वारा संबंधित विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया गया।शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों में प्रो. अरुणा पाठक, पुष्पा चंदेल, डॉ. गुंजन सिंह, कोमल पांडेय, डॉ. अरविंद कुमार जगदेव व शारदा सोनी सहित अन्य प्रमुख रूप से शामिल रहीं।

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