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स्कंद षष्ठी व्रत 2022: संतान प्राप्ति और सुखी जीवन के आशीर्वाद के लिए रखा जाता है स्कंद षष्ठी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Skanda Shashthi Vrat 2022: हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस साल जून माह में 5 तारीख को रविवार के दिन स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाएगा।

Jun 01, 2022 / 03:07 pm

Tanya Paliwal

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स्कंद षष्ठी व्रत 2022: संतान प्राप्ति और सुखी जीवन के आशीर्वाद के लिए रखा जाता है स्कंद षष्ठी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Skanda Shashthi Vrat Shubh Muhurat And Puja Vidhi: हिंदू धर्म में हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी पड़ती है। इस साल 2022 में ज्येष्ठ महीने में 5 जून, रविवार को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाएगा। मान्यता है कि यह व्रत संतान प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति के लिए बहुत फलदायी होता है। इस व्रत में भोलेनाथ और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा का विधान है। कार्तिकेय का एक अन्य नाम स्कंद भी है इसलिए इस तिथि को स्कंद षष्ठी के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि की शुरुआत 5 जून, रविवार को सुबह 04 बजकर 52 मिनट से होकर इसका समापन 6 जून, सोमवार को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर होगा। लेकिन उदयातिथि 5 जून को होने के कारण स्कंद षष्ठी का व्रत इसी दिन किया जाएगा।

 

शुभ मुहूर्त: ज्योतिष अनुसार स्कंद षष्ठी की पूजा प्रातः 05:23 बजे से रात्रि 12:25 बजे ले बीच में कर सकते हैं। वहीं पंचांग के अनुसार, 5 जून को राहुकाल का समय 05:32 बजे से शाम 07:16 बजे तक है।

पूजा विधि: स्कंद षष्ठी की पूजा में सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर पर लाल चंदन, अक्षत, फूल, फल और मोर पंख आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप-दीप से आरती करें। इसके बाद भगवान के समक्ष बैठकर षष्ठी स्रोत का पाठ करें। मान्यता है कि इस स्त्रोत के पाठ से संतान संकट से मुक्ति मिलने के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कार्तिकेय के प्रिय वाहन मोर की पूजा करने से संतान पर आई विपत्तियों का नाश होता है।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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