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जयपुर

भगवान चन्द्रप्रभू और पार्श्वनाथ की जयंती पर 250 से ज्यादा जैन मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान

जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चन्द्र प्रभू एवं 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक दिवस आज भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। इस मौके पर शहर के 250 से अधिक दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन किए गए।

जयपुरDec 26, 2024 / 03:09 pm

Devendra Singh

Lord Parshvanath

Lord Parshvanath

जयपुर. जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चन्द्र प्रभू एवं 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का जन्म व तप कल्याणक दिवस आज भक्तिभाव से मनाया जा रहा है। इस मौके पर शहर के 250 से अधिक दिगम्बर जैन मंदिरों में पूजा अर्चना के विशेष आयोजन किए गए। सुबह दोनों तीर्थंकरों का अभिषेक करने के बाद विश्व में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हुए शांतिधारा की गई। इसके बाद श्री जी की पूजा अर्चना की और मंत्रोच्चार के साथ दोनों तीर्थंकरों के जन्म व तप कल्याणक अर्घ्य चढ़ाए गए। महाआरती के बाद पूजा का समापन हुआ।

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स्तोत्र पूजा विधान का संगीतमय आयोजन

राजस्थान जैन युवा महासभा के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन ‘कोटखावदा’ ने बताया कि दुर्गापुरा के श्री चन्द्रप्रभू दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में अध्यक्ष प्रकाश चांदवाड एवं मंत्री राजेन्द्र काला के नेतृत्व में भगवान चन्द्र प्रभू के जन्म व कल्याणक दिवस पर सुबह अभिषेक, शांतिधारा के बाद भगवान चन्द्रप्रभू पूजा एवं कल्याण मंदिर स्तोत्र पूजा विधान का संगीतमय आयोजन किया गया। इसके बाद मुनि प्रणम्य सागर ने धर्मसभा को संबोधित किया। शाम 6 बजे वर्धमान स्तोत्र का अनुष्ठान होगा।

108 कलश से भगवान के अभिषेक

ख्वास जी का रास्ता स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर सोनियान में मुनि अर्चित सागर महाराज के सान्निध्य में अध्यक्ष कमल दीवान के नेतृत्व में प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रद्युम्न जैन शास्त्री के निर्देशन में पंचामृत अभिषेक, विघ्न हरण पार्श्वनाथ विधान हुआ। शाम को आरती व भजन संध्या होगी। आगरा रोड पर श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चूलगिरी में आज सुबह मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ के अभिषेक के बाद मंदिर परिसर से पाण्डुक वन तक पालकी जुलूस निकाला गया। इसके बाद पाण्डुक शिला पर श्री जी के ऋद्धि मंत्रों से युक्त 108 कलश से भगवान के अभिषेक एवं बीजाक्षरों से शांतिधारा की गई। तत्पश्चात सामूहिक पूजा विधान हुआ।

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