नवरात्रि के पहले दिन बन रहा ऐसा दुर्लभ योग, इस समय की गई हर मनोकामना होगी पूरी
चैत्र नवरात्रि 2023 (Chaitra Navratri 2023) बुधवार से शुरू हो रही है। इस साल नवरात्रि कई शुभ योग (Shubh Yog) और मुहूर्त में हो रही है। इससे नवरात्रि भक्तों के जीवन में खुशहाली लाने वाली है। एक तो इस वासंतिक नवरात्रि यानी चैत्र नवरात्रि 2023 पर मां नौका पर सवार होकर धरती पर आने वाली है, जिससे सुख समृद्धि आना तय हैं। इसके अलावा नवरात्रि पर एक ऐसा योग बन रहा हैं जिस समय माता जगदंबा (goddess durga) के सामने व्यक्त की गई कोई भी कामना जरूर पूरी होगी..तो आइये जानते हैं नवरात्रि पर बन रहे विशेष योग और मुहूर्त(Kalash Sthapana Muhurt)…
चैत्र नवरात्रि का कलश स्थापना मुहूर्तः वासंतिक नवरात्रि यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। इसी दिन से माता दुर्गा की पूजा का उत्सव नवरात्रि शुरू होगा। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी के अनुसार 22 मार्च को शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन दुर्गा पूजा कलश स्थापना और पूजा का मुहूर्त इस प्रकार है।
कलश स्थापना मुहूर्त: सुबह 6:30 बजे से सुबह 7:30 बजे तक (द्विस्वभाव मीन लग्न के दौरान) पूजा का समयः सुबह 7:50 से 9:26 बजे तक सुबह 10:57 से 12:27 बजे तक दोपहर 3:30 से 4:50 बजे तक प्रदोष काल पूजा समय शाम 5:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक
प्रतिपदा तिथि का प्रारंभः दृक पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च 10.52 पीएम से हो रही है। प्रतिपदा तिथि का समापनः 22 मार्च 8.20 पीएम मीन लग्न का प्रारंभः 22 मार्च 6.23 एएम मीन लग्न का समापनः 22 मार्च 7.36 एएम
शुक्ल योगः चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 21 मार्च रात 12.42 बजे से ही 22 मार्च को सुबह 9.18 बजे तक शुक्ल योग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्यों में निश्चित रूप से सफलता मिलती है। यानी जिस इच्छा की पूर्ति की कामना से पूजा की जाएगी, वह जरूर पूरी होगी। इसलिए इस योग में जिस प्रार्थना के निमित्त भक्त नव दुर्गा उत्सव में पूजा शुरू करेंगे, वह जरूर पूरी होगी।
ब्रह्म योगः चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह 9.18 बजे से शाम 6.16 बजे के बीच ब्रह्म योग बन रहा है, इस समय में विवाद आदि सुलझाना अच्छा माना जाता है और यह योग भी अधिकांश शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है।
अमृतकालः दृक पंचांग के अनुसार 22 मार्च को 11.07 एएम से 12.35 पीएम तक अमृतकाल मुहूर्त है, यह एक शुभ मुहूर्त है। इस मुहूर्त में भी किए जाने वाले सारे काम पूरे होते हैं।
निशिता मुहूर्तः नवरात्रि में भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए, इससे भक्त पर माता आदिशक्ति कृपा करती हैं। वहीं भगवान शिव की पूजा निशिता मुहूर्त में शुभ फलदायी होता है, और 23 मार्च 12.03 एएम से 12.51 एएम तक इस पूजा को करने का भक्तों को मौका मिलेगा। इस नवरात्रि में माता आदिशक्ति के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दिन भगवान शिव की पूजा से माता प्रसन्न होंगी।