जौ से मिलते हैं भविष्य के संकेत : नवरात्रि पूजा के पहले दिन जौ बोया जाता है। ये समृद्धि, शांति और खुशहाली के प्रतीक होते हैं। मान्यता है कि जौ उगने की प्रक्रिया संबंधित घर में भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देती हैं। माना जाता है जौ तेजी से बढ़ते हैं तो घर में समृद्धि आती है और ये बढ़ते नहीं, मुरझाए रहते हैं तो भविष्य में किसी अनिष्ट का संकेत देते हैं।
बंदनवारः प्राचीनकाल से ही हमारे यहां शुभ कार्य, अनुष्ठानों के दौरान मुख्य द्वार पर बंदनवार सजाए जाते हैं। हिंदू धर्म मानने वालों की मान्यता है कि इससे नकारात्मक शक्तियां घरों में प्रवेश नहीं करतीं। कहा जाता है नवरात्रि पूजा के पहले दिन मां के साथ कई बुरी शक्तियां भी आती हैं, लेकिन बंदनवार बंधे रहने से वो घर से बाहर रूक जाती हैं।
दीपकः दुर्गा मां की पूजा में शुद्ध देसी घी का अखंड दीप जलाया जाता है। मान्यता है कि इससे घर का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। अखंड दीप को पूजा स्थल पर दक्षिण पूर्व दिशा में रखना चाहिए। क्योंकि यह दिशा ही अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है। माता की पूजा में अखंड दीप जलाने से शत्रुओं पर विजय मिलती है और घर में सुख समृद्धि भी आती है। पूजा के दौरान यह दीप बुझना नहीं चाहिए, इसे शुभ नहीं माना जाता।
लाल गुड़हल का फूलः गुड़हल माता का प्रिय पुष्प है। यह कोमल पुष्प सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। मान्यता है कि यह पुष्प मां को भेंट करने से माता जगदंबा भक्त की सभी मनोकामना पूरा करती हैं।
नारियलः नवरात्रि पूजा में कलश पर मौली और लाल कपड़े से नारियल को लपेटकर रखा जाता है। जिसका एक गूढ़ अर्थ भी है। नारियल के बाहरी आवरण को अहंकार और भीतरी भाग को पवित्रता-शांति का प्रतीक माना जाता है।