scriptSankashthi Chaturthi Vrat: इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती की मनोकामना हुई पूरी, नहीं सुनी होगी यह कथा | Mother Parvati wish fulfilled due to Sankashthi Chaturthi Vrat Story | Patrika News
धर्म

Sankashthi Chaturthi Vrat: इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती की मनोकामना हुई पूरी, नहीं सुनी होगी यह कथा

संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashthi Chaturthi Vrat) का महात्म्य अनोखा है। इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती की भी मनोकामना पूरी हुई थी, इसकी कथा शायद ही आपने सुनी हो तो द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के पावन अवसर पर आपको बताते हैं माता पार्वती का मनोरथ पूरी करने वाले संकष्ट चतुर्थी व्रत की कथा (Sankashthi Chaturthi Vrat Katha)।

Feb 09, 2023 / 02:04 pm

Pravin Pandey

ganesh_ji.jpg

ganeshji

Sankashthi Chaturthi Vrat: आज गुरुवार को संकष्टी चतुर्थी है, फाल्गुन महीने की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं। आज देशभर में भक्त भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर व्रत रख रहे हैं। इस व्रत को माता पार्वती भी रख चुकी हैं। शाम को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले भक्त भगवान गणेश की पूजा कर चंद्र दर्शन करेंगे। चंद्र दर्शन का मुहूर्त रात 9.25 बजे हैं। इस व्रत में भगवान की पूजा के साथ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा सुननी जरूरी है। इसलिए आज हम आपको संकष्टी चतुर्थी की वह कथा बता रहे हैं जो आपने शायद ही सुनी हो।
Sankashthi Chaturthi Vrat Katha: कथा के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती एक नदी किनारे बैठे थे। इस दौरान माता को चौपड़ खेलने की इच्छा हुई, भगवान इसके लिए राजी हो गए। लेकिन प्रश्न उठा कि हार-जीत का फैसला कैसे होगा। इस पर महादेव ने कुछ तिनके जुटाकर पुतला बनाया और उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी। इसके बाद पुतले से कहा- पुत्र हम चौपड़ खेलना चाहते हैं तुम बताना कि खेल में हममें से कौन हारा और कौन जीता।
ये भी पढ़ेंः Sankashti Chaturthi Falgun 2023: इस दिन है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और शुभ योग

https://www.dailymotion.com/embed/video/x8h1hx1
इसके बाद चौपड़ शुरू हुआ और तीन बार खेले गए चौपड़ में संयोग से माता पार्वती जीत गईं। लेकिन खेल संपन्न होने के बाद पुतले ने महादेव को विजयी बता दिया। इस पर आदिशक्ति नाराज हो गईं, उन्होंने बालक को दिव्यांग होने और कीचड़ में पड़ रहने का शाप दे दिया। इस पर बालक माफी मांगने लगा, उसने कहा-मैंने द्वेषवश ऐसा नहीं किया, अज्ञानता के कारण यह गलती की है। इस पर माता ने कहा-यहां गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आती हैं, उनसे गणेश पूजन विधि पूछकर व्रत रखना। ऐसा करने पर तुम मेरी शरण में आ जाओगे। यह कहकर माता कैलाश चली गईं।

एक वर्ष बाद इस स्थान पर नाग कन्याएं आईं और बालक ने उनसे संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि पूछकर 21 दिन लगातार व्रत और पूजन किया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेशजी ने उससे मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा। इस पर उसने कहा कि हे गणेशजी मुझमें इतनी शक्ति दीजिए कि अपने पैरों पर चलकर माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं, और वे यह देखकर प्रसन्न हो सकें। बालक को वरदान देकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उसके बाद बालक कैलाश पहुंचा और शिवजी को पूरी कथा सुनाई।
ये भी पढ़ेंः Vijaya Ekadashi 2023: इस एकादशी के प्रताप ने श्रीराम को रावण पर दिलाई जय, जानिए व्रत की डेट और पूजा विधि


इधर, चौपड़ वाली घटना के बाद से माता पार्वती भगवान से विमुख हो गईं थीं। बालक के घटना बताने के बाद भगवान शिव ने भी 21 दिन तक श्रीगणेश के लिए व्रत किया। इससे माता के मन में शिव के प्रति नाराजगी खत्म हुई। इसके बाद यह व्रत विधि भगवान शंकर ने माता पार्वती को बताई। इस बीच माता के मन में भगवान कार्तिकेय से मिलने की इच्छा हुई, तब माता पार्वती ने भी 21 दिन तक श्रीगणेश का व्रत किया।
दूर्वा, फूल और लड्डू से पूजा अर्चना की। व्रत के 21 वें दिन कार्तिकेय स्वयं माता से मिलने आ पहुंचे। इसके बाद से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति वाला माना जाने लगा। इस व्रत से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है।
https://youtu.be/ID4Hrn_EE9M

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion News / Sankashthi Chaturthi Vrat: इस व्रत के प्रभाव से माता पार्वती की मनोकामना हुई पूरी, नहीं सुनी होगी यह कथा

ट्रेंडिंग वीडियो