पांडवों से माना जाता है इस मंदिर का संबंध
पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इसी मंदिर में भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान शिव की आराधना के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर में हर सोमवार को भक्तजन भजन कीर्तन में तल्लीन रहते हैं।
कहा जाता है कि चतरा के कौलेश्वरी पर्वत पर एक सरोवर स्थित है और भक्तजन भोलेनाथ के अभिषेक के लिए यहीं से जल लेते हैं। वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार अपने वनवास काल के दौरान भगवान श्री राम के साथ माता सीता और भ्राता लक्ष्मण ने यहां समय बिताया था।
कोलुआ पर्वत पर स्थित भोलेनाथ के इस मंदिर में श्रद्धालुओं को बाहर से कुछ भी लाने की मनाही है क्योंकि पूजा की सामग्री मंदिर के आस-पास ही उपलब्ध हो जाती है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)