गुरु गोविंद सिंह का जन्म
गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 में बिहार के पटना साहिब मे हुआ था। वह केवल 9 वर्ष की आयु में गुरु बने और उन्होंने समाज में धार्मिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों को आगे बढ़ाने का काम किया। गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और सिख धर्म के रक्षा के लिए उनका योगदान अतुलनीय है।
धार्मिक महत्व
सिख समुदाय में गुरु गोविंद सिंह की जयंती का विशेष महत्व है। इस खास दिन उनके अनुयायी उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं। गुरु गोविंद सिंह ने सिख धर्म को एक नई दिशा दी। जिसमें खालसा पंथ की स्थापना और 5 ककार को अनिवार्य बनाने जैसे कार्य शामिल हैं। उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता, साहस और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु गोविंद सिंह जी ने जीवनभर अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई। उनके बलिदान ने सिख धर्म को तो मजबूत किया ही। साथ ही पूरे समाज को साहस और धर्म के प्रति निष्ठा का संदेश दिया।
जयंती का उत्सव
सिख धर्म को मानने वाले लोग गुरु गोविंद सिंह की जयंती के अवसर पर गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास करते हैं। साथ ही बड़ी भव्यता के साथ लंगर का आयोजन करते हैं। पटना साहिब, जो गुरु गोविंद साहिब की जन्म स्थली भी है। जिसे तख्त श्री हरिमंदिर जी के नाम से भी जाना जाता है। वहां भी सिख धर्म के लोग विशाल लंगर का आयोजन करते हैं। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है, और गुरुद्वारों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाएं
खालसा पंथ की स्थापना: गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिख धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है। समानता: गुरु गोविंद सिंह ने समाज में जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करने पर विशेष जोर दिया। साहस और बलिदान: उन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ने और धर्म की रक्षा के लिए अपने चार बेटों सहित अपना पूरा परिवार बलिदान कर दिया। धर्मनिरपेक्षता: धार्मिक मान्यता है कि गुरु गोविंद सिंह जी ने सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया।