किस विधि द्वारा करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
पूजा की शुरुआत में सबसे पहले माता रानी को पंचामृत से स्नान कराकर उन्हें सिंदूर, कुमकुम, अक्षत और फूल अर्पित करें। फूल चढ़ाते वक्त याद रखें कि ब्रह्मचारिणी देवी को सफेद और सुगंधित फूल ही प्रिय हैं। इसके बाद भोग के लिए चीनी, मिश्री या सफेद रंग की कोई मिठाई होनी चाहिए। और फिर मां की आरती उतारें।
आरती के पूर्ण होने के बाद अपने हाथों में फूल लेकर माता रानी का ध्यान करें और निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण अवश्य करें…
“या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा हिमालय के घर एक सुंदर कन्या का जन्म हुआ था। उस कन्या के मन में भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में पाने की चाह थी। इस इच्छा को पूरी करने के लिए नारद मुनि ने उस कन्या को कठोर तप करने की सलाह दी। उस कन्या ने नारद मुनि की बात मान ली और कठोर तप में लीन हो गई। इसी कारण से उस कन्या का नाम ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी रखा गया।
कहते हैं कि इस कठोर तप के दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने केवल फल-फूल का सेवन करके ही हजारों वर्षों तक जीवन यापन किया था। उनकी लगन और कठोर तपस्या को देख कर तो सभी देवी-देवताओं को भी आश्चर्य हुआ था। इसी तपस्या से खुश होकर सभी देवी-देवताओं ने उन्हें वरदान दिया कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो और वैसा ही हुआ।