ये भी पढ़ें- वर्षा का वाहन हाथी, पंचक काल में खूब बरसेंगे बदरा दरअसल, भारत में बारिश का आकलन ज्योतिष की गणना के अनुसार किया जाता है। इस तरह का आकलन भारत में बहुत पहले से किया जा रहा है। माना जाता है कि अर्द्रा नक्षत्र में सूर्य के प्रवेश से बारिश का योग बनता है। भारत में कई जगह आर्द्रा चढ़ना भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र का स्वामी भगवान शिव (
Lord Shiva ) के रूद्र रूप है।
आर्द्रा का महत्व माना जाता है कि आर्द्रा नक्षत्र में पृथ्वी राजस्वला होती है। मान्यता है कि इस दौरान पृथ्वी की खुदाई नहीं करनी चाहिए। इस बार सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश 22 जून ( शनिवार ) को शाम 5 बजकर 7 मिनट और 30 सेकंड पर वृश्चिक लग्न में हो रहा है। सूर्य आर्द्र नक्षत्र में 6 जुलाई को शाम 4 बजे तक रहेंगे।
ये भी पढ़ें- सावधान! 27 जून तक फूंक-फूंक कर रखें कदम, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान वहीं उत्तर भारत में आर्द्रा नक्षत्र में भगवान शिव और विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान भगवान को खीर और आम का भोग लगाया जाता है और घर में पंडित को खाना खिलाया जाता है।