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जयपुर

बैंककर्मी ही पासवर्ड रिसेट कर उड़ाते थे रकम, राजस्थान और मध्यप्रदेश में अपराधियों के खिलाफ बड़ा एक्शन

Patrika Raksha Kavach: साइबर ठगों के खिलाफ पुलिस एक्शन में आ गई है। राजस्थान पुलिस ने जयपुर में शनिवार को ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया गया जो साधु बनकर सोशल मीडिया पर लोगों का भविष्य बताने के नाम पर ठगी कर रहा था।

जयपुरJan 12, 2025 / 08:20 am

Anil Prajapat

Patrika Raksha Kavach: जयपुर/ भोपाल। साइबर ठगों के खिलाफ पुलिस एक्शन में आ गई है। राजस्थान पुलिस ने जयपुर में शनिवार को ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया गया जो साधु बनकर (नकली दाढ़ी-मूंछ व सिर पर बड़े बाल लगाकर) सोशल मीडिया पर लोगों का भविष्य बताने के नाम पर ठगी कर रहा था। उधर मध्यप्रदेश पुलिस के हत्थे चढ़े साइबर ठगों के अंतरराष्ट्रीय गिरोह ने जांच एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं।
पड़ताल में सामने आया है कि मध्यप्रदेश में सक्रिय गिरोह के जरिए देशभर में एक हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी की गई। पैसा म्यूल अकाउंट में भेजा गया। म्यूल अकाउंट्स पर ही साइबर पुलिस व एंटी टेरिरिस्ट स्क्वॉड की निगाहें टिकी हैं। इन एकाउंट में टेरर फंडिंग के लिए भी पैसा दोबारा भेजा जाता था। पैसा कहां से भेजा जाता था, इसकी भी जांच चल रही है।

क्या है म्यूल अकाउंट

यह बैंक खाते गैरकानूनी गतिविधियों से पैसा हासिल और ट्रांसफर कर अवैध ट्रांजेक्शन का जरिया बनते हैं। भारत में ये अकाउंट अक्सर ऐसे लोग खोलते हैं, जो कुछ पैसे, कमीशन या शुल्क लेकर दूसरों को अपने खाते के जरिए ट्रांजेक्शन की सुविधा देते हैं।

राजस्थान: जयपुर में पकड़े 30 जालसाज, श्रीलंका में ली ट्रेनिंग

पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने बताया कि कालवाड़ थाना क्षेत्र में पकड़ा गया गिरोह साधु बनकर साइबर ठगी कर रहा था। ऑनलाइन गेमिंग ऐप के जरिए गिरोह के दो सदस्य श्रीलंका में ट्रेनिंग लेकर आए थे। गिरफ्तार ठगों में ऑनलाइन सट्टा लगाने वाले भी शामिल हैं।
जयपुर कमिश्नरेट पुलिस ने अलग-अलग छह स्थानों पर दबिश देकर 30 जालसाजों को गिरफ्तार किया है। दो नाबालिग भी पकड़े गए। गिरफ्तार ठगों में अलग-अलग गिरोह के चार सदस्य ऐसे हैं, जो साइबर ठगों को किराए पर बैंक खाते उपलब्ध करवा रहे थे। एक सदस्य ने 100 से अधिक लोगों के खाते साइबर ठगों को किराए पर दिए।

मध्यप्रदेश: तीन चरण में खेल

मध्यप्रदेश पुलिस के अनुसार, साइबर ठगी से लेकर टेरर फंडिंग तक का खेल तीन चरणों में किया जाता है। एक गैंग लोगों को ठगती है। दूसरी गैंग म्यूल एकाउंट में पैसे का प्रबंधन करती है। तीसरे चरण में विदेश तक पैसा पहुंचाया जाता है। इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए होता है। हालांकि एटीएस सूत्रों का कहना है कि टेरर फंडिंग मॉड्यूल पर शुरुआती जांच चल रही है।
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डिजिटल डिवाइस बरामद, ट्रांजेक्शन की डिटेल का इंतजार

गुरुग्राम के सोहाना में एटीएस की ओर से पकड़े 6 संदिग्धों के पास से लैपटॉप, फोन सहित कई उपकरण मिले हैं। एटीएस ने उपकरण साइबर पुलिस को सौंप दिए हैं। अब डिजिटल उपकरणों व खातों के ट्रांजेक्शन का विवरण निकाला जाएगा। उस आधार पर आगे की जांच होगी। एक संदिग्ध की मौत हो चुकी है।

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