scriptMakar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति पर्व पर 19 साल बाद इस बार भौम पुष्य योग का दुर्लभ संयोग | Rare coincidence of Bhaum Pushya Yoga after 19 years on Makar Sankranti festival | Patrika News
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Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति पर्व पर 19 साल बाद इस बार भौम पुष्य योग का दुर्लभ संयोग

मकर संक्रांति यानी उतरायण पर्व तीन विशेष संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग भी बन रहा है।

जयपुरJan 11, 2025 / 03:23 pm

Devendra Singh

makar sankranti

Makar sankranti

जयपुर. 14 जनवरी को मकर संक्रांति यानी उतरायण पर्व तीन विशेष संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में भौम पुष्प योग को अत्यंत शुभ माना गया है। यह योग मंगल और पुष्य नक्षत्र के मिलन से बनता है। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। जिसमें दान, पुण्य आध्यात्मिक कार्यों से अक्षय पुण्य फल मिलता है।

ये बन रहे खास योग

ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री ने बताया कि राजधानी जयपुर में भी 14 जनवरी को माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मकर संक्रांति पर सबसे पहले पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। इस योग का समापन सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर होगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो वर्षों बाद मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग है, जो पूरे दिन रहेगा। इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। अत: पुष्य नक्षत्र में काले तिल का दान करने से साधक को शनि की बाधा से मुक्ति मिलेगी। इस शुभ अवसर पर बालव और कौलव करण के संयोग है।

सूर्य उपासना का दिन

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास का समापन हो जाएगा। इसके बाद मांगलिक कार्य का सिलसिला शुरू हो जाएगा। भगवान सूर्य 14 जनवरी को प्रातः काल 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसका पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा। इस दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर सूर्यदेव की पूजा कर दान-पुण्य करने के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाएंगे। संक्रांति का पुण्य काल मंगलवार को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। जबकि संक्रांति का महापुण्य काल इस दिन सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। यह दोनों ही समय स्नान और दान के लिए शुभ है।

शनिदेव की मिलेगी कृपा

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर एक मास और इसके पश्चात शनि देव की ही राशि कुंभ में एक मास निवास करते हैं। यह पर्व पिता व पुत्र की आपसी मतभेद को दूर करने तथा अच्छे संबंध स्थापित करने की सीख देता है। सूर्य के मकर राशि में आने पर शनि से संबंधित वस्तुओं के दान व सेवन से सूर्य के साथ शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। कुंडली में उत्पन्न अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से लाभ मिलता है।

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