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Navratri 9th Day: महानवमी के दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, इस मंत्र के जप से मिलेगा भूमि-मकान

नवरात्रि के आखिरी दिन यानी महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती हैं। मान्यता है कि इनकी कृपा से सभी सिद्धियां पाई जा सकती हैं। इनकी कृपा से भक्त को नव निधि, बुद्धि विवेक प्राप्त होता है तो आइये जानते हैं महानवमी के दिन मां पार्वती के नवें स्वरूप की पूजा कैसे करें..

Oct 22, 2023 / 09:43 pm

Pravin Pandey

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महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा

पहले जान लें मां का स्वरूप
मां पार्वती का नवां स्वरूप मां सिद्धिदात्री हैं। यह स्वरूप कमल पर विराजमान है और माता की चार भुजाएं हैं। मां सिद्धिदात्री लाल साड़ी में दिखाई देती हैं। इनके चारों हाथों में सुदर्शन चक्र, शंख, गदा और कमल रहते है। सिर पर ऊंचा सा मुकुट और चेहरे पर मंद मुस्कान मां सिद्धिदात्री की पहचान है। कई भक्त महानवमी के दिन भी कुंजिकाओं को बिठाते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व
मां सिद्धदात्री की पूजा से नव निधियां और बुद्धि विवक प्राप्त होता है। इसी के साथ नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान देना चाहिए। इससे मृत्यु भय से राहत मिलती है और अनहोनी से बचाव होता है।

महानवमी पूजा शुभ मुहूर्त

पहला मुहूर्तः सुबह 06:27 बजे से 07:51 बजे तक
दूसरा मुहूर्तः सुबह 09:16 बजे से 10:41 बजे तक
तीसरा मुहूर्तः दोपहर 01:30 बजे से 02:55 बजे तक
चौथा मुहूर्तः दोपहर 02:55 बजे से 04:19 बजे तक
पांचवा मुहूर्तः 04:19 बजे से 05:44 बजे तक

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मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
1. इस दिन की पूजा में सुबह शुभ मुहूर्त में स्नान ध्यान कर कलश को प्रणा करें और मां सिद्धिदात्री का स्मकरण करें।
2. मां के सामने घी का दीपक जलाएं और मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करें।
3. मां सिद्धदात्री के लिए धूप, अगरबत्ती जलाएं।
4. सामर्थ्य अनुसार फल या भोग मां को लाल वस्त्र में लपेट कर अर्पित करें।
5. मां सिद्धिदात्री के मंत्र जप, दुर्गा सप्तशती पढ़ें और आरती करें।
6. नवमी तिथि पर पूजन, अर्चन के बाद हवन करें।
7. कुमारी पूजन करें और ब्राह्मण-निर्धनों को भोजन कराएं, इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र
1. ‘ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:।’

2. मनोकामना पूर्ति मंत्र
समस्त स्त्रियों में मातृभाव रखने के लिए नीचे लिखा मंत्र जपना चाहिए, इससे माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और भक्त की मनोकामना भी पूरी करती हैं। घी, तिल, भोजपत्र इसके लिए होमद्रव्य हैं। पढ़ें मंत्र
‘विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।’

3. स्वर्ग और मोक्ष पाने की कामना है तो ये मंत्र पढ़ना चाहिए। इसके लिए पत्र, पुष्प, तिल, घृत होम द्रव्य हैं।
‘सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः।।’

4. भूमि, मकान की इच्‍छा रखने वालों को यह मंत्र जपना चाहिए। साधारण द्रव्य होम के लिए प्रयुक्त करें।

‘गृहीतोग्रमहाचक्रे दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
वराहरूपिणि शिवे नारायणि नमोऽस्तुते।।’
5. संतान प्राप्ति की इच्‍छा रखने वाले व्यक्ति, स्त्री या पुरुष को ये मंत्र जपना चाहिए

‘नन्दगोप गृहे जाता यशोदा-गर्भ-सम्भवा।
ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी।।’

इसके साथ घी और मक्खन से आहुति दें, इच्‍छा अवश्य पूर्ण होगी।
( देवी के पूजन, अर्चन, जप इत्यादि में समय का अवश्य ध्यान रखें अन्यथा कृपा प्राप्त न होगी। नैवेद्य जरूर चढ़ाएं तथा प्रार्थना करें।)

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