कब है पापांकुशा एकादशी
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार उदयातिथि में लोग 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखेंगे। इस व्रत को रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के सभी पापों का अंत होता है। खास बात यह है कि यह व्रत शुभ योग में रखा जाएगा। हालांकि वैष्णव समाज के लोग 14 अक्टूबर को व्रत रखेंगे।डॉ. व्यास के अनुसार पापांकुशा एकादशी रवि योग में पड़ रही है, इस दिन रवि योग सुबह 6:21 मिनट से बन रहा है और यह 14 अक्टूबर को सुबह 2:51 तक रहेगा। रवि योग में सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। इसमें सूर्य देव का प्रभाव अधिक होता है।
गृहस्थों के लिए पापांकुशा एकादशी व्रत
पापांकुशा एकादशी: रविवार 13 अक्टूबर 2024 को
पारण (व्रत तोड़ने का) समय: 14 अक्टूबर दोपहर 01:16 बजे से दोपहर 03:34 बजे तक
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समयः सुबह 11:56 बजे (हरि वासर में पारण नहीं करते)
कब है गौण पापांकुशा एकादशी( वैष्णव के लिए)
गौण पापांकुशा एकादशी: सोमवार, 14 अक्टूबर 2024 कोपारण समयः 15 अक्टूबर को सुबह 6.22 बजे से 8.40 बजे तक
(पारण के दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।)
पापांकुशा एकादशी पूजा विधि
1. एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। 2. भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। 3. इसके बाद मंदिर को साफ करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।पापांकुशा एकादशी का दान और महत्व
कुंडली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार पापाकुंशा एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है। इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है।पदम् पुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा पूर्वक सुवर्ण, तिल,भूमि,गौ,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नहीं होते। इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का भागी बनता है। इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।