scriptविचार मंथन : जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है- गुरु गोविन्दसिंह | Daily Thought Vichar Manthan : Guru Govind Singh | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

विचार मंथन : जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है- गुरु गोविन्दसिंह

Daily Thought Vichar Manthan : मेरे यहां जो अशर्फियां हैं, खजाने हैं, वह इतने पवित्र नहीं हैं कि, जिनके उपयोग से बने अन्न को खाने से शक्ति नहीं मिलेगी- गुरु गोविन्दसिंह

Oct 07, 2019 / 04:06 pm

Shyam

विचार मंथन : जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है- गुरु गोविन्दसिंह

विचार मंथन : जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है- गुरु गोविन्दसिंह

शुद्ध अन्न से शुद्ध बुद्धि

श्री गुरु गोविन्दसिंह जी महाराज के पास खूब अशर्फियां थीं, खजाना था फिर भी वह यवनों से युद्ध होते समय अपने लड़ाकू शिष्यों को मुट्ठी भर चने देते थे। एक दिन उन मनुष्यों में से एक मनुष्य ने श्री गुरु गोविन्दसिंह जी की माताजी से जाकर कहा कि माता जी-हमें यवनों से लड़ना पड़ता है और गुरु गोविन्दसिंहजी के पास अशर्फियां है खजाने हैं फिर भी वह हमें एक मुट्ठी चने ही देते हैं और लड़वाते हैं। माताजी ने श्री गुरुगोविन्दसिंह जी को अपनी गोद में बैठा कर कहा कि- पुत्र यह तेरे शिष्य तेरे पुत्र के समान हैं फिर भी तू इन्हें एक मुट्ठी चने ही देता है ऐसा क्यों करता हैं?

 

विचार मंथन : ‘रावन’ महान बुद्धिमान, विचारक होते हुए भी केवल अहंकार के कारण स्वयं तथा सारे कुटुंब का विनाश कर लिया- आचार्य श्रीराम शर्मा

श्री गुरु गोविन्दसिंह जी ने अपनी माताजी को उत्तर दिया-माता क्या तू मुझे अपने पुत्र को कभी विष दे सकती है? माता जी ने कहा – नहीं। गुरुगोविन्दसिंह जी ने कहा-माता मेरे यहां पर जो अशर्फियां हैं, खजाने हैं, वह इतने पवित्र नहीं हैं उसके खाने से इनमें वह शक्ति नहीं रहेगी। जो मुट्ठी भर चने खाने से इनमें शक्ति है वह फिर न रहेगी और फिर यह लड़ भी नहीं सकेंगे।

 

विचार मंथन : सत्य, सेवा और सच्ची धार्मिकता का मार्ग में सुविधाओं की अपेक्षा कष्ट ही अधिक उठाने पडते हैं- महात्मा गांधी

बीस उंगलियों की कमाई का, धर्म उपार्जित, भरपूर बदला चुकाकर ईमानदारी से प्राप्त किया हुआ अन्न ही मनुष्य में, सद्बुद्धि उत्पन्न कर सकता है। जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है। हमने एक महात्मा को खेती करते देखा, एक महात्मा दरजी का काम करते थे। परिश्रम और ईमानदारी के साथ कमाये हुए अन्न से ही शुद्ध बुद्धि हो सकती है और तभी भगवद् भजन, कर्त्तव्य पालन, लोक सेवा आदि सात्विक कार्य हो सकते हैं।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / विचार मंथन : जो लोग अनीति युक्त अन्न ग्रहण करते हैं उनकी बुद्धि असुरता की ओर ही प्रवृत्त होती है- गुरु गोविन्दसिंह

ट्रेंडिंग वीडियो