इसलिए उनके व्यक्तित्व से जीवन में संतुलन की सीख हमें लेनी चाहिए। इसके अलावा 5 अन्य बातें भी हमें शिवजी से जरूर सीखनी चाहिए। इससे आपकी लाइफ आसान और टेंशन फ्री हो जाएगी। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास से आइये जानते हैं वे बातें जो भगवान शिव हमें सिखाते हैं..
नकारात्मकता में सकारात्मक बने रहना
Positive In Negativity: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार समुद्र मंथन से जब विष बाहर आया तो सभी ने कदम पीछे खींच लिए थे, क्योंकि विष कोई पीने में सक्षम नहीं था। ऐसे में महादेव ने स्वयं विष (हलाहल) पिया, इसी से उन्हें नीलकंठ नाम मिला। इस घटना से बहुत बड़ा सबक मिलता है कि हम भी जीवन में आने वाली नकारात्मक चीजों को अपने अंदर रखकर या इससे गुजरते हुए भी जीवन की सकारात्मकता बनाए रख सकते हैं।
लक्ष्य पर फोकस कैसे बनाएं
Focus On Goal: ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शिवजी से बड़ा कोई योगी नहीं हुआ। किसी परिस्थिति से खुद को दूर रखते हुए उस पर पकड़ रखना, आसान नहीं होता है। महादेव एक बार ध्यान में बैठ जाएं तो दुनिया इधर से उधर हो जाएं लेकिन उनका ध्यान कोई भंग नहीं कर सकता है। शिव का यह गुण हमें जीवन की चीजों पर फोकस और नियंत्रण रखना सिखाते हैं। ये भी पढ़ेंः Bhagyashali Ladki: भाग्यशाली लोगों को मिलती है ऐसी पत्नी, लड़कियों के इन अंगों से जानिए उसका लक
जीवन के हर रूप को खुलकर जीना
शिव की जीवन शैली हो या उनका कोई अवतार, वे हर रूप में बिल्कुलअलग हैं। फिर वो रूप तांडव करते हुए नटराज हों, विष पीने वाले नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, सबसे पहले प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ का हो। वे हर रूप में जीवन को सही राह दिखाते हैं। साथ ही जीवन को हर रूप में खुलकर जीना सिखाते हैं।
बाहरी सुंदरता की जगह गुणों को चुनना
Preference Qualities Over External Beauty: भविष्यवक्ता अनीष व्यास के अनुसार
शिव का संपूर्ण रूप देखकर यह संदेश मिलता है कि हम जिन चीजों को अपने आस-पास देख भी नहीं सकते, उसे उन्होंने बड़ी आसानी से अपनाया है। उनके विवाह में भूतों की मंडली पहुंची थी।
वहीं, शरीर में भभूत लगाए भोलेनाथ के गले में सांप लिपटा होता है। बुराई किसी में नहीं बस एक बार आपको उसे अपनाना होता है। साथ ही वो सिखाते हैं कि बाहरी सुंदरता की जगह आंतरिक सुंदरता और गुणों को चुनना चाहिए।
अपनी प्राथमिकताओं को समझना
Understanding Your Priorities: डॉ. अनीष व्यास के अनुसार भगवान शिव को हमेशा से अपनी प्राथमिकताओं का भान रहा। उन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम और सम्मान को सबसे ऊपर रखने के साथ अपने मित्र और भक्तों को भी उचित स्थान दिया।