पिण्डदान की है देश में अलग-अलग विधियां There Are Different Methods Of Pind Daan In The Country : ज्योतिषी एनके आनंद ने बताया कि महाभारत में वर्णित है कि फल्गु तीर्थ में स्नान करके जो मनुष्य श्राद्ध में श्रीहरि का दर्शन करता है, वह पितरों के सारे ऋणों से मुक्त हो जाता है। फल्गु तट पर श्राद्ध में पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज बस यही तीन मुख्य कार्य होते हैं। पितृपक्ष में कर्मकांड का विधि विधान अलग-अलग है। फल्गु तट पर परंपरानुसार पिण्डदान करने वाले श्रद्धालु एक, तीन, सात, पंद्रह और 16 दिन का कर्मकांड करते हैं।
This Is How Shraddha Krama Happens : पितरों के निमित्त सभी क्रियाएं जनेऊ दाएं कंधे पर रखकर और दक्षिनाभिमुख होकर की जाती है। तर्पण काले तिल मिश्रित जल से किया जाता है। श्राद्ध का भोजन, दूध, चावल, शक्कर और घी से बने पदार्थ का होता है। कुश के आसन पर बैठकर कुत्ता और कौवे के लिए भोजन रखें। इसके बाद पितरों का स्मरण करते हुए निम्न मंत्र का 3 बार जप करें –
स्वधायै स्वाहायै नित्य में भवन्तु ते । इसके बाद तीन -तीन आहुतियां दें आग्नेय काव्यवाहनाय स्वाहा
सोमाय पितृ भते स्वाहा
वै वस्वताय स्वाहा इतना करना भी संभव न हो तो जलपात्र में काला तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुहं करके तर्पण करें और ब्राह्मण को फल मिष्ठान्न खिलाकर दक्षिणा दें।
इन बातों का श्राद्ध में रखें जरूर ध्यान
Keep In Mind These Things In Meditation: श्राद्ध के दिन एक समय भोजन, भूमि शयन व ब्रह्मचर्य पालन आवश्यक है। इन दिनों में पान खाना, तेल लगाना , धूम्रपान आदि वर्जित है। इसके अतिरिक्त भोजन में उड़द, मसूर, चना, अरहर, गाजर, लौकी, बैगन, प्याज और लहसुन का निषेध है।
Like To Go To Gaya : एक समय गयाजी में अलग-अलग नाम की 360 से ज्यादा वेदियां मौजूद थीं, जहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आकर पिंडदान करवाते थे. लेकिन ज्यों-ज्यों गया के विकल्प के रूप में हरिद्वार, गंगासागर, जगन्नाथपुरी, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर एवं बद्रीनाथ के नाम उभरे, लोगों ने वहां भी जाना शुरू कर दिया। वर्तमान में कहा जाता है कि मात्र 48 वेदियां ही बची हुई हैं। इन्हीं वेदियों पर लोग पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। यहां की मुख्य वेदियों में विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी तट और अक्षयवट पर पिंडदान करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बावजूद आज भी लोग अपने पितरों को पिण्डदान अथवा तर्पण के लिए गया जी ही आना पसंद करते हैं।