Who Is Known As Shradh First? : ज्योतिषी एनके आनंद ने कहा कि श्राद्ध का मतलब श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करना। हिंदू शास्त्रों के अनुसार जिस किसी के परिजन अपने शरीर को छोड़कर चले गए हैं, उनकी तृप्ति और उन्नति के लिए श्रद्धा के साथ जो शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें।
When Does It Become Known To The Ancestral Side : ज्योतिषी एनके आनंद ने कहा कि हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के 15 दिन पितरों को समर्पित होता है। शास्त्रों अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपक्ष की पूर्णिणा से आरम्भ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। भाद्रपद पूर्णिमा को उन्हीं का श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो। शास्त्रों मे कहा गया है साल के किसी भी पक्ष में, जिस तिथि को परिजन का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म उसी तिथि को करना चाहिये।
Do Not Remember The Date Of Shraddha : ज्योतिषी एनके आनंद ने कहा कि पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण और उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। जिस तिथि पर हमारे परिजनों की मृत्यु होती है उसे श्राद्ध की तिथि कहते हैं। बहुत से लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती ऐसी स्थिति में शास्त्रों में इसका भी निवारण बताया गया है।शास्त्रों के अनुसार यदि किसी को अपने पितरों के देहावसान की तिथि मालूम नहीं है तो ऐसी स्थिति में आश्विन अमावस्या को तर्पण किया जा सकता है। इसलिये इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा यदि किसी की अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। ऐसे ही पिता का श्राद्ध अष्टमी और माता का श्राद्ध नवमी तिथि को करने की मान्यता है।
Who Should Perform Shraddha In The Family : ज्योतिषी एनके आनंद ने बताया कि धर्मग्रंथ के अनुसार श्राद्ध का अधिकार सबसे बडे़ पुत्र को प्राप्त है। लेकिन यदि पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी या बेटी भी श्राद्ध कर सकती है। पुत्र के न रहने पर पत्नी का श्राद्ध पति या बेटा बेटी भी कर सकते है।
Did The Ancestors Soul Come To Earth : श्राद्धपक्ष आरम्भ होने वाले हैं। जो 13 सितंबर से शुरू होकर और 28 सितंबर तक चलेगा। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती पर आती है और अपने परिजनों के साथ रहती हैं। पितरों को खुश रहने के लिए श्राद्ध के दिनों में विशेष कार्य करना चाहिए वही कुछ वर्जित कार्य नहीं करना चाहिए।
Do Not Forget This Work In Shradh
– श्राद्ध में पुरुषों को दाढ़ी मूंछ नहीं क
टवाना चाहिए।
Important dates of Shraddha 13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
14 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
15 सितंबर- द्वितीय श्राद्ध
17 सितंबर- तृतीया श्राद्ध 18 सितंबर- चतुर्थी श्राद्ध
19 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
20 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध
21 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
22 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध आधीरात को चलती ट्रेन से इंदौर की युवती ने डीआरएम को फोन किया, फिर हुआ ये
24 सितंबर- दशमी श्राद्ध
25 सितंबर- एकादशी श्राद्ध/द्वादशी श्राद्ध/वैष्णव जनों का श्राद्ध
26 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध 27 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध
28 सितंबर- अमावस्या श्राद्ध, अज्ञात तिथि पितृ श्राद्ध, पितृविसर्जन महालय समाप्ति