रेलवे ने आमान परिवर्तन के बाद सबसे पहले 2015 में 22 मार्च को डीजल इंजन से डेमू ट्रेन को रतलाम से फतेहाबाद के बीच चलाया। इसके बाद इसको पहले इंदौर तो बाद में महू तक विस्तार दिया। इसके बाद रेलवे ने विद्युतिकरण कार्य की शुरुआत की। सबसे पहले महू से इंदौर तक व इसके बाद इंदौर से लक्ष्मीबाई नगर तक इस कार्य को किया गया। इसके बाद रतलाम व जावरा होते हुए इसको मंदसौर तक किया गया।
रेलवे ने वर्ष 2019 में ही इलेक्ट्रिफिकेशन कार्य को पूरा करने करने का लक्ष्य लिया है। इसके लिए तय समय से पूर्व जावरा से मंदसौर व मंदसौर से नीमच तक कार्य पूरा कर लिया गया। अब रेलवे की अगली योजना यहां पर इसी वर्ष चित्तौडग़ढ़ तक विद्युतिकरण कार्य को करने की है। इसके लिए मंडल रेल प्रबंधक आरएन सुनकर प्रतिदिन प्रगति की जानकारी भी ले रहे है। रेलवे ने 23 अक्टूबर को बिजली चार्ज करने के साथ ही बिजली इंजन को चलाकर यहां पर ट्रायल लिया है। इसके लिए 100 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से इंजन को बुधवार को मंदसौर-नीमच-मंदसौर के बीच चलाया गया। नीमच से इंजन शाम को 7.20 बजे चला व रतलाम रात 8.55 बजे आ गया।
– नीमच चित्तौडग़ढ़ सेक्शन- 55.73 किमी
– लागत – 390 करोड़ रुपए
– बडे़ पुल 06
– छोटे पुल 52
मंदसौर से लेकर नीमच तक बिजलीकरण कार्य पूरा हो गया है, शेष नीमच से चित्तौडग़ढ़ तक कार्य है उसको इसी वर्ष में पूरा किया जाने का लक्ष्य लिया गया है।
– आरएन सुनकर, डीआरएम