घटना के बाद अब अब तक कई सवाल है, जिनके जवाब देने से मेडिकल कॉलेज प्रशासन बचता है। इस मामले में नियम यह है कि जो छात्र बीमार हुए और उल्टी हुई, ऐसे मामले में पुलिस को बुलाकर उल्टी को जांच के लिए सागर लैब भेजा जाता है, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने मात्र पुलिस को सूचना देना जरूरी समझा। इसके लिए अलग से कोई कार्रवाई के लिए बताना तक जरूरी नहीं समझा गया। इतना ही नहीं खाद्य और औषधि प्रशासन को भी इस मामले में कोई सूचना नहीं दी गई। जबकि नियम अनुसार सूचना दी जाती तो यह विभाग बचे हुए उस भोजन के नमूने ले लेता, जिसको खाने से मेडिकल कॉलेज के बच्चें बीमार हुए थे।
इस मामले को जहां शुरू से अंत तक मेडिकल कॉलेज प्रशासन दबाता रहा, वही बाद में भी कोई सूचना साझा करना जरूरी नहीं समझा गया। बड़ी बात यह है कि जब सूचना के अधिकार कानून में जानकारी चाही गई तो यह तो बता दिया गया कि मेस संचालक को हटा दिया गया, लेकिन जांच समिति में कौन था, समिति ने किन बिंदुओं पर जांच की, जांच समिति कब बनाई गई यह सब बताना जरूरी नहीं माना गया।
मेडिकल कॉलेज में कुछ खाने से बच्चें बीमार हुए थे, जिसके बाद उनको बेहतर उपचार दिया गया था। मार्च माह में हुई इस घटना के बाद जांच की गई और दोषी मेस संचालक को निष्कासित कर दिया गया।
– लोकेंद्र सिंह कोट, मीडिया प्रभारी, शासकीय मेडिकल कॉलेज