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रतलाम

शहर के बाद अब गांवों की स्वच्छता रैंकिंग के लिए सर्वे शुरू

Cleanliness Ranking Of Villages : इस कार्य के लिए मध्यप्रदेश में निजी एजेंसियां मैदान में तैनात, शौचालय का उपयोग हो रहा है या नहीं, जांच करेंगी एजेंसियां, तीन स्तर पर होगा सर्वे, रतलाम में वर्ष 2012 से अब तक 1.17 लाख बने शौचालय।

रतलामSep 08, 2019 / 06:17 pm

Ashish Pathak

Cleanliness Ranking Of Villages

Cleanliness Ranking Of Villages

रतलाम। Cleanliness Ranking Of Villages : शहर के तर्ज पर अब गांवों को भी स्वच्छता रैंकिंग मिलेगी, इसके लिए शासन ने निजी सर्वे एजेंसियों के जरिए गांवों का सर्वे भी शुरू कर दिया है। इसमें गांवों में शासकीय अनुदान से बने शौचालयों की उपयोगिता सहित अन्य मानकों पर तीन स्तर पर जांच की जा रही है। यह सर्वे और जांच रिपोर्ट 15 सितंबर के बाद शासन को प्रेषित की जाएगी, इसी के आधार पर गांव की स्वच्छता रैंकिंग जारी होगी।
जिले की ग्राम पंचायत में 2012 से अब तक बने 1 लाख 17 हजार शौचायल बने हैं, इनके उपयोगिता की जांच शुरू हो गई है। ये जांच मध्यप्रदेश के ग्रामीण व पंचायत विभाग द्वारा निजी एजेंसी से करवाई जा रही है। ये जांच तीन चरण में होगी, प्रत्येक शौचालय के लिए जिला पंचायत की अनुमति के बाद हर हितग्राही के खाते में 12 हजार रुपए गए थे। इस समय करीब 600 शौचालय बनना शेष पाए गए हैं।
swachhta survey
IMAGE CREDIT: patrika
मंजूरी को भोपाल से रोक दिया

जिला पंचायत के अधिकारियों ने बताया कि 2012 से गांव में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत 1 लाख 10 हजार शौचालय बनाकर दिए गए। बाद में करीब 7485 शौचालय और सर्वे में आए, लेकिन मंजूरी 1800 हितग्राही को ही मिल पाई। शेष शौचालय की मंजूरी को भोपाल से रोक दिया गया है। सरकार से अनुबंध के आधार पर राज्य में आईपीएफओएफ नाम की निजी एजेंसी जांच कर रही है। इस कंपनी ने 25 गांव को मॉडल के रूप में जांच के लिए लिया है, जिसमे प्रत्येक जनपद के 3 से 5 गांव शामिल हैं।
इस तरह गांव को मिलेंगे अंक

तीन स्तर से जांच के लिए कार्य को चयनित किया गया है। पहले श्रेणी में जांच करने वाले अधिकारी व कर्मचारी सीधे मौके पर जा रहे हैं। इसके लिए गांव के अंागनवाड़ी, सरकारी स्कूल, ग्राम पंचायत भवन आदि को शामिल किया गया है। इसमे प्रत्येक गांव को 35 नंबर दिए जाएंगे। दूसरे चरण की जांच में एमआईएफ सर्वे को शामिल किया गया है। इसमे गांव में कितने आवास हंै व कितने शौचालय बनकर तैयार हो गए है, इस आधार पर 30 नंबर मिलेंगे। तीसरे व अंतिम चरण की जांच में ग्रामीणों से सीधे सवाल होंगे। इसके लिए गुगल प्ले स्टोर पर बीएसबी ट्रैकर नाम के एपलिकेशन को डाउनलोड करना होगा। इस एप के माध्यम से ग्रामीण अपने गांव की स्वच्छता के बारे में विचार, फोटो, नंबर आदि दे सकेंगे।
swachhta Survey 2019
ग्रामीण को दी जवाबदेही

सर्वे के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्रामीण को जवाबदेही दी गई है कि वे स्वयं गांव की सच्चाई बताए। इससे लाभ ये होगा की स्वच्छता अभियान अधिक बेहतर हो सकेगा। अब तक १.१७ लाख शौचालय बना दिए गए हैं। शेष की मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है।
अवधसिंह अहिरवार, नोडल प्रभारी, जिला पंचायत

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