सपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे आजम खां ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का सरकारी शोध संस्थान अपने निजी ट्रस्ट में लीज पर लिया था। आरोप है कि इसके लिए कई बार नियमों को भी बदला गया। यहां तक कि शोध संस्थान के उद्देश्यों को भी सपा सरकार ने बदल दिया था।
योगी सरकार ने आते ही सपा नेता आजम खां के खिलाफ तमाम जांचें शुरू कराई। इस दौरान ही एसआईटी की जांच में सामने आया कि करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से बने इस शोध संस्थान को आजम खां ने सौ रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 99 साल की लीज पर लिया था। बाद में कई नियम बदलवा दिए।
एसआईटी की रिपोर्ट के बाद जनवरी 2023 के अंतिम सप्ताह में हुई योगी कैबिनेट की बैठक में जौहर ट्रस्ट से जौहर शोध संस्थान वापस लेने का प्रस्ताव पास किया गया। जिसकी अब स्थानीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अंकित मित्तल की ओर से मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पंद्रह दिन का समय देते हुए जौहर शोध संस्थान से कब्जा छोड़ने का नोटिस दिया गया है।