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राजस्थान के इस शहर में होते थे सर्वाधिक बाल-विवाह, अब 40 प्रतिशत हुए कम

– हथेलियों से फीका पडऩे लगा बाल विवाह का पीला रंग
– 4 ब्लॉक में हुए सर्वे में बाल विवाह की दर 67 प्रतिशत, अब रह गई 27.5 प्रतिशत

राजसमंदMay 10, 2024 / 11:42 am

himanshu dhawal

राजसमंद. जिले में पिछले कुछ वर्षो से आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर होने वाले बाल-विवाह के मामलों में लगातार कमी आ रही है। महिला मंच की ओर से किए गए सर्वे में 2004-2005 में बाल विवाह की दर 67 प्रतिशत थी, जो घटकर वर्तमान में 27 फीसदी के आस-पास रह गई है। वहीं बाल अधिकारिता विभाग के पास पिछले दो साल में 70 बाल विवाह के प्रकरण आए थे, जिसमें 56 प्रकरणों को समझाइश कर पाबंद किया गयाbal
आखातीज एवं पूर्णिमा पर अबूझ सावा होता है। इसके कारण सर्वाधिक शादियां इन दो दिनों में होती है। इस दौरान जिले में कई जगह बाल विवाह भी होते हैं। बाल-विवाह को रोकने के लिए सरकार की ओर से, जिला प्रशासन, स्वयं सेवी संस्थाओं एवं सामाजिक संगठनों की ओर से कई वर्षो से प्रयास किए जा रहे हैं। इससे आमजन में जागरुकता आई है। इसके कारण बाल-विवाह के मामलों में लगातार कमी आ रही है, लेकिन अभी तक पूर्ण तरीके से इस पर रोक नहीं लग पाई है। जिला प्रशासन की ओर से इस बार भी कन्ट्रोल रूम बनाकर स्कूल एवं कॉलेज के साथ आमजन को भी बाल विवाह को रोकने एवं इसकी सूचना तुरंत देने के लिए जागरुक किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जिले में शुक्रवार को आखातीज एवं 23 मई को पीपल पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा) मनाई जाएगी।
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इन चार ब्लॉक में किया गया सर्वे

राजसमंद महिला मंच का दावा है कि कार्यकर्ताओं की ओर से वर्ष 2004-2005 में 4 ब्लॉक राजसमन्द, रेलमगरा, केलवाड़ा और खमनोर में सर्वे किया गया था, तब बाल विवाह की दर राजसमन्द में 67 प्रतिशत थी। जो अभी वर्तमान में घटकर 27.5 प्रतिशत हो गई है। वर्ष 1998 में राजसमन्द महिला मंच की ओर से जिले में सर्वप्रथम महिला सशक्तिकरण के लिए बाल-विवाह को ही पहला मुद्दा बनाकर इस जिले में कार्य करना शुरु किया। राजसमन्द महिला मंच संगठन और उसकी संस्था जन विकास संस्थान की ओर से जिले में अभी तक कुल 8616 बाल विवाह रोक कर महिलाओं और किशोरियों का सशक्तिकरण किया जा चुका है।

1207 लड़कियों ने खुद का रुकवाया बाल-विवाह

मंच के अनुसार जिले में जागरुकता के बाद 1207 लड़कियों की ओर से खुद का बाल विवाह रुकवाया। इसी क्रम में पंच एवं पण्डितों की ओर से 668, संगठन की महिला सदस्यों ने 3052, प्रशासन व पुलिस के सहयोग से 360, शैक्षणिक अनुदान से 436 लडक़े और लड़कियों, संस्था संगठन की कार्यकर्ताओं ने 1093 और 4 ब्लॉक के 620 परिवारों द्वारा 1180 बच्चों का बाल विवाह रुकवाने के लिए शपथ पत्र भरवाए गए। अब तक कुल 8616 बाल विवाह रोके गए।

बाल अधिकारिता विभाग के पास आए 70 मामले

बाल अधिकारिता विभाग के पास पिछले दो साल में करीब 70 मामले बाल विवाह के आए। इसमें एक अप्रेल 2022 से लेकर अप्रेल 2024 तक 70 प्रकरणों में 7 मामले झूठे निकले है। इसी प्रकार 56 प्रकरणों में समझाइश और पाबंद किया गया। वहीं 6 मामलों में कानूनी कार्रवाई की गई है।

कन्ट्रोल रूम बनाए, सभी जिम्मेदारी की तय

सरपंचों की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसमें सभी की जिम्मेदारी तय की गई है। बाल विवाह को रोकने के लिए जिला मुख्यालय सहित सभी जगह कन्ट्रोल रूम बनाए गए हैं। 02952-220103 एवं 220712 पर फोन पर सूचना दी जा सकती है।
  • दीपेन्द्र सिंह शेखावत, सहायक निदेशक बाल अधिकारिता विभाग राजसमंद

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