रक्ततलाई : उद्यान परिसर में फाइबर से निर्मित रेडिमेड टॉयलेट को रखे हुए करीब एक दशक से भी ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन इनके ताले कभी खुले ही नहीं। परिसर के बाहर खमनोर पंचायत की ओर से बनाए गए पब्लिक टॉयलेट में पानी ही नहीं है। दरवाजे क्षतिग्रस्त हो रहे हैं और गंदगी जमा है। ऐसे में ये उपयोग करने लायक ही नहीं है।
शाहीबागः हाल के वर्षों में पत्थर, सीमेंट, लोहे और अन्य निर्माण सामग्री से पुरुष, महिला और दिव्यांगजनों के लिए अलग-अलग टॉयलेट बनवाए गए थे। रक्ततलाई की ही तरह शाहीबाग में भी रेडिमेड टॉयलेट 10 साल से भी अधिक समय से पड़े हुए हैं। इन दोनों ही प्रकार के टॉयलेट पर भी ताले लगे हैं।
चेतक समाधिः परिसर में पुरुष-महिला और दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए टॉयलेट का निर्माण किया गया, मगर इन पर भी जब से बने तभी से ताले लगे हुए हैं। हल्दीघाटी के स्थलों में सबसे ज्यादा पर्यटक चेतक समाधि पर आते हैं, लेकिन उन्हें यहां न तो टॉयलेट की सुविधा मिलती है और न ही पीने का पानी।
प्रताप स्मारकः ऊंची पहाड़ी पर बने स्मारक पर महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा और यहां से हल्दीघाटी की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है। इन्हें देखने आने वाले लाखों पर्यटक टॉयलेट और पानी जैसी जरूरी सुविधाओं के लिए भी परेशान होते हैं। इस तरह करोड़ों रुपए खर्च कर देने के बावजूद ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं का पूर्ण अभाव है।