भावना अभी स्पोट्र्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (साई) के बेंगलूरु स्थित प्रशिक्षण केन्द्र पर तैयारी कर रही हैं। कोविड प्रोटोकॉल के तहत टीमों को जापान भेजा जा रहा है। वह 30 जुलाई को भारत के करोड़ों लोगों की उम्मीदों को लेकर रवाना होंगी। भावना ने पत्रिका से बातचीत में कहा, ‘तैयारी बहुत अच्छी चल रही है। मैं पहली बार इतनी बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा ले रही हूं। मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय कॉम्पिटीशन है। कई चुनौतियां हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि बेहतर प्रदर्शन कर पाऊंगी।Ó
रांची में आयोजित सीनियर चैपियनशिप प्रतियोगिता में भावना जाट ने 20 किलोमीटर पैदल चाल को 1 घंटा 29 मिनिट 54 सेकंड में पूरी कर ओलंपिक 2021 में अपनी जगह निश्चित की थी। यही नहीं, इस अवधि में पैदल चाल पूर्ण कर राष्ट्र स्तर के रिकॉर्ड 1 घंटा 31 मिनिट को अपने नाम कर दिया।
काबरा गांव की बेटियां स्लो रेस में पूरे जिले में आगे हैं। भावना के बाद यहां की कई बेटियों ने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पदक जीते हैं। इन खिलाडिय़ों में खेल का जज्बा पैदा करने वाले शारीरिक शिक्षक हीरालाल कुमावत ने बताया कि वर्ष 2008 से ही यहां की भावना जाट सहित सोनल सुखवाल, रानी सुखवाल, कविता शर्मा, गीता लौहार, पूजा जाट, वर्षा सुखवाल आदि ने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिता में अपना कौशल दिखाते हुए पदक जीते है।
कुंवारिया. भावना के घर शुभकामनाएं देने वालों का तांता लगा है। जिला प्रमुख रतनीदेवी चौधरी, भामाशाह माधव चौधरी रविवार को पहुंचे और भावना के स्वर्ण पदक जीतने की शुभकामनाएं उसके पिता शंकरलाल एवं माता नोसर देवी से मिलकर दी। जिला प्रमुख रतनी देवी ने उन्हें कहा, राजसमंद जिले की प्रथम नागरिक होने के नाते मुझे गर्व है कि हमारी एक बेटी ओलंपिक में भाग ले रही है। हम सबको उस पल का इंतजार है, जब भावना ओलंपिक से मैडल जीतकर आएगी। पूरा देश उसके साथ है।
स्कूल में कोच रहे हीरालाल कुमावत से बातचीत
मुझे आज भी वर्ष 2009 का वह दिन याद है, जब केलवा गांव में स्कूली प्रतियोगिता थी। भावना ने दूसरे बच्चों को खेल प्रतियोगिता में जाते देख खुद को भी किसी एक टीम में शामिल करने की गुजारिश की थी। मैंने उसे कहा, सभी खेलों की टीम बन गई है, अब सिर्फ पैदल चाल बची है। उसने आखिरी में हिस्से में आई जिस प्रतियोगिता के लिए हामी भरी थी, किसी को नहीं पता था कि खेल का वही फॉर्मेट उसे एक दिन ओलम्पिक तक पहुंचा देगा। आज मुझे ही नहीं, पूरे रेलमगरा और राजसमंद गर्व है भावना की लगन, मेहनत और सफलता पर। सच कहूं तो भावना के बाद काबरा गांव में कई और बेटियों ने उसे रोल मॉडल मानकर अपनी तैयारियां शुरू की और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल होने के सपने सच करने आगे बढ़ रही हैं। मैं 2008 से 2015 तक काबरा गांव में शारीरिक शिक्षक रहा। इस दौरान भावना को जो भी खेल के नियम, तैयारियों के गुर सिखाए, पूरी शिद्दत से उसने सीखे। 2016 के बाद से वह विभिन्न जगहों पर प्रशिक्षण लेती रही हैं। नियमित तौर पर उसका फोन आता है। अपने खेल, लक्ष्य और तैयारी पर हमेशा चर्चा करती है। आज 45 स्टूडेंट मेरे पास हर रोज सुबह तैयारी के लिए आते हैं। भावना की प्रतिभा को देखकर औरों ने प्रेरणा ली। आगामी समय में हमारे यहां से राष्ट्रमण्डल, नेशनल गेम्स और वल्र्ड चैम्पियनशिप के लिए भी खिलाड़ी निकलेंगी।
रनिंग और वॉकिंग लगभग एक जैसी खेल गतिविधि है। जो लड़के 400-400 मीटर दौड़ लगाते थे, उनके अलग-अलग बैच बनाकर भावना को वॉक पर भेजता था। लड़के दौड़ते थे, वह पैदल चाल की प्रैक्टिस करती थी। काबरा गांव के बाहर शनि महाराज की घाटी में पैदल चलने से उसकी मजबूती बढ़ी। मैंने एक बार उसे चुनौती दी थी कि ओलम्पिक का टिकट कटवाएगी तो मानूंगा, उसने यह सच कर दिखाया।