आज लगभग 2 लाख श्रद्धालुओं की उपस्थिति में पंडित प्रदीप मिश्रा ने आगे बताया कि उक्त कथा आशुतोष शिव महापुराण का वाचन किया जा रहा है ,आशुतोष का अर्थ शीघ्र प्रसन्न होने वाला होता है।देवो के साथ सभी दानवों ने भी भगवान शिव की स्तुति की है सभी युगों में दानवो ने कभी भगवान शिव से दुश्मनी नही की न ही भगवान शिव ने दानवो सहित किसी प्राणी के साथ विपरीत भाव नही रखा इसलिए भगवान शिव सभी प्राणियों के लिए प्रिय एवं पूजनीय है इसलिए भगवान शिव आशुतोष कहलाये ।अगर कोई व्यक्ति भगवान शिव के आशुतोष स्वरूप का स्मरण कर भगवान शिव की अर्चना करता है तो उस व्यक्ति के सारे मन के द्वेष समाप्त हो जाते हैं ,आज जगत के सभी प्राणियों को भी भगवान शिव के आशुतोष स्वरूप का अनुसरण करना चाहिए ।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने मंच आगमन एवं व्यासपीठ विराजित होने पर आयोजक परिवार के रामु जायसवाल ,कृष्ण कुमार जायसवाल ,वेनुशंकर जायसवाल ,रमेश जायसवाल ने सपरिवार व्यासपीठ में स्वागत एवं सम्मान किया ।उपस्थित जनसमूह ने तालियों की गड़गड़ाहट एवं हाथ उठाकर उनका अभिवादन किया महाराज प्रदीप मिश्रा ने भी अभिवादन स्वीकार किया एवं आयोजक परिवार सहित बलौदाबाजार ,छत्तीसगढ़ के आयोजन की खूब सराहना किया ।मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे अपार जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए आगे बताया कि जैसे नारियल पेड़ अपने अनुकूल भूमि पर उगती और पोषित होती है उसी प्रकार महादेव के प्रति जिसकी अकाट्य श्रद्धा होती है,माता पिता के संस्कार उच्च होते है ,अच्छे कर्म होते हैं उन्हीं व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा ,एवं भक्ति प्राप्त होती है ।
जब दुनिया में धर्म का नाश होता है तब शिव आगे आकर धर्म की ,लोगो की रक्षा करते हैं आज शिव की कृपा से मैं शिव कथामहापुरण का वाचन कर रहा हूँ ।शिव की विशेष कृपा से आज हर मंदिर में भीड़ लगी हुई जो मंदिर में जानवरों की उपस्थिति रहती थी धूल जमी हुई थी वो मंदिर में लोग एक लोटा जल लेकर भगवान शिव की स्तुति कर रहे हैं ,धर्म का अनुसरण कर रहे हैं ये सब मेरे देवादि देव भगवान शिव की विशेष कृपा का प्रमाण है।