आज विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह बयान दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में केंद्र द्वारा तय एमएसपी पर ही किसानो से धान खरीदी की जायेगी। हालाँकि अपना वादा पूरा करने की बात कहते हुए उन्होंने एक मंत्रीमंडलीय कमेटी के गठन को मंजूरी दी है, जो यह तय करेगी कि अंतर की राशि कैसे किसानों को दी जाए।
उन्होंने कहा कि हमने किसानो से 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदने का वादा किया था और हम इसे पूरा भी करेंगे लेकिन केंद्र द्वारा नीतिगत फैसले में आ रही अड़चनों को देखते हुए अंतर की राशि कैसे किसानों को दी जाएगी, इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जा रहा है। कमेटी में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, खाद्य मंत्री अमरजीत सिंह, सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल शामिल किए गए हैं।
उन्होंने केंद्र सरकार आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने 2 सालों तक नियम को शिथिल किया अभी उस नियम को शिथिल क्यों नहीं किया जा रहा है, क्या केवल सरकार बदलने से छत्तीसगढ़ के किसानों को सजा मिलेगी। हमने केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान से दो बार बात की उन्होंने हमारा समर्थन भी किया लेकिन कहा कि इसका फैसला पीएमओ से होगा।
हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रहे हैं। हमारा विरोध केंद्र सरकार का नहीं केंद्र सरकार के सिस्टम से है। धान से एथेनाल बनाने के लिए प्लांट लगाए जाने पर भी केंद्र सरकार अड़ंगा लगा रही है। वह केवल एक साल के लिए अनुमति देने को तैयार है ऐसे में करोडो रुपये का प्लांट कैसे लगाया जा सकता है। कम से कम 2 साल समय का मिलना चाहिए।