scriptइलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में लिया बड़ा फैसला, जानिए वजह | Allahabad High Court took a big decision in criminal cases | Patrika News
प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में लिया बड़ा फैसला, जानिए वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामले में प्रिंटेड प्रोफार्मा में सम्मन जारी न किए जाए। इस मामले में कोर्ट ने महानिबंधक को प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक केस में आरोपी को सम्मन जारी करना गंभीर मामला है। प्रिंटेड प्रोफार्मा में खाली स्थान भरकर सम्मन जारी करना स्थापित न्यायिक मानदंडों के प्रतिकूल है।

प्रयागराजMar 24, 2022 / 06:11 pm

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में लिया बड़ा फैसला, जाने यूपी के सभी जिला जजों को क्या दिया निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में लिया बड़ा फैसला, जाने यूपी के सभी जिला जजों को क्या दिया निर्देश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामले में प्रिंटेड प्रोफार्मा में सम्मन जारी न किए जाए। इस मामले में कोर्ट ने महानिबंधक को प्रदेश के सभी जिला न्यायाधीशों को सर्कुलर जारी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक केस में आरोपी को सम्मन जारी करना गंभीर मामला है। प्रिंटेड प्रोफार्मा में खाली स्थान भरकर सम्मन जारी करना स्थापित न्यायिक मानदंडों के प्रतिकूल है।
यह भी पढ़ें

जाने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएचडी अंकों में विभेद को लेकर क्यों मांगा जवाब, जानिए वजह

कोर्ट ने कहा आदेश से स्पष्ट झलकना चाहिए कि पारित करते समय न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा मैकेनिकल मैनर में सम्मन जारी करना आपत्तिजनक व निंदनीय है। मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किए बगैर जारी आदेश न्यायिक प्रक्रिया की हत्या है। कोर्ट ने सी जे एम सोनभद्र के सम्मन आदेश को रद्द कर दिया है और नये सिरे से दो माह में नियमानुसार कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
यह भी पढ़ें

जाने इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएचडी अंकों में विभेद को लेकर क्यों मंगा जवाब, जानिए वजह

यह आदेश न्यायमूर्ति बृजराज सिंह ने राबर्ट्सगंज के सोहन मिश्र की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका में सी जे एम सोनभद्र के 16दिसंबर 21को जारी सम्मन की वैधता को चुनौती दी गई थी।याची के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी।याची का कहना था कि उसे झूठा फंसाया गया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की सही व निष्पक्ष विवेचना प्राथमिक कर्तव्य है।लंबे समय तक विवेचना लटकाये रखना अनुच्छेद 21के तहत स्पीडी ट्रायल के अधिकार का उल्लघंन है। विवेचना पूरी होने के बाद मजिस्ट्रेट को न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किए बगैर सम्मन जारी नहीं करना चाहिए।

Hindi News / Prayagraj / इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक मामलों में लिया बड़ा फैसला, जानिए वजह

ट्रेंडिंग वीडियो