आपको बता दें कि बिहार में जेडीयू और भाजपा गठबंधन सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। खासतौर से लोकसभा सीटों के बंटवारों को लेकर तालमेल बिगड़ गया है। बिहार में बड़ा भाई कौन इस बात को लेकर दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। हालांकि भाजपा ने बिहार में नीतीश को बड़ा भाई मान लिया है लेकिन मोदी सरकार की मजबूरी ये है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 40 में से 22 सीटों पर जीत मिली थी। अगर भाजपा केवल 22 सीटों पर ही चुनाव लड़ भी ले तो भी दोनों की तकरार खत्म होने के आसार नहीं है। ऐसा इसलिए कि शेष 18 सीटों पर जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को आपस में तालमेल बैठाने होंगे। 22 सीटों पर चुनाव न लड़ने की स्थिति में भाजपा का गणित पूरी तरह से बिगड़ जाएगा। यहां तक टिकट कटने वाले सांसद पार्टी के खिलाफ आवाज भी बुलंद कर सकते हैं। इसलिए गठबंधन के समक्ष सबसे बड़ी समस्या सीटों के तालमेल को लेकर है1
सीटों के बंटवार को लेकर अभी तक दोनों पार्टियों के बीच तालमेल न होने से बयानबाजी का सिलसिला चरम पर है। हालांकि भाजपा इस मामले में संभलकर बयान दे रही है लेकिन जेडीयू के नेता पूरी तरह से मुखर हो चुके हैं। भाजपा के इस दावे पर कि वो तो कम से कम 22 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे ही, जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने धमकी दी थी कि अगर भाजपा में ताकत है तो अकेले चुनाव लड़ ले। इसके बाद हाल ही में संजय सिंह ने भी बयान दिया कि भाजपा गठबंधन की बात न कर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करे। वहीं सीएम नीतीश कुमार खुद मोदी सरकार के खिलाफ बयान दे रहे हैं। नोटबंदी की तारीफ करने वाले सीएम कुमार ने पहले तो नोटबंदी की आलोचना की और मंगलवार को उन्होंने केंद्र सरकार पर देश का माहौल बिगाड़ने का आरोप जड़ दिया।
आपको बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो और और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का मुंबई के एक अस्पताल में फिस्टुला का ऑपरेशन पिछले रविवार को हुआ था। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फोन कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली, लेकिन मीडिया में यह खबर मंगलवार को फैली और उसके अलग-अलग मायने निकाले