ये है वजह
नीतीश सरकार ने इस फरमान के पीछे जो वजह बताई है वो ये है कि इस तरह की टिप्पणियों से सरकार के किसी मंत्री, सांसद, विधायक या सरकारी अफसर की छवि धूमिल हो रही है। ऐसे में सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर अपने मंत्री, विधायक या फिर सरकारी अफसर की छवि को धूमिल करने वाले पोस्ट को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया जाएगा।
ऐसे पोस्ट लिखने वालों पर आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। खास बात यह है कि आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने इस बारे में सभी विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को पत्र लिखा है।
खत में ये दी गई जानकारी
हसनैन की ओर से लिखे गए खत में जो जानकारी दी गई है कि उसके मुताबिक किसी भी विभाग में इस तरह का मामला सामने आता है तो आर्थिक अपराध इकाई को इसकी विस्तृत सूचना देंगे, ताकि दोषियों पर उचित कार्रवाई की जा सके।
आपको बता दें कि आर्थिक अपराध इकाई साइबर अपराध की नोडल एजेंसी है। सोशल मीडिया पर अश्लीलता, साइबर बुलिंग, साइबर उत्पीड़न जैसे मामले आर्थिक अपराध इकाई के तहत आते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर भ्रामक और नकारात्मक खबरों पर आपत्ति जताते हुए पुलिस अफसरों को इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने पुलिस मुख्यालय में समीक्षा बैठक के बाद पुलिस विभाग को सोशल मीडिया के माध्यम से ही सही जानकारी देने को कहा था। वहीं सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए अपराध अनुसंधान विभाग भी संचार विंग बनाने पर विचार कर रहा है। यही नहीं सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस बड़े आपराधिका मामलों को लेकर अपडेट देती रहेगी, ताकि लोगों तक सही सूचना पहुंच सके और लोगों के बीच भ्रम की स्थिति कम फैले।
पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ओवैसी को लगा बड़ा झटका, जानिए किस उम्मीद पर फिर गया पानी विपक्ष ने साधा निशानानीतीश सरकार के इस फरमान को लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि- हे बिहार सरकार! कहां ले जा रहे हैं बिहार को। आलोचना से इतना डर! जनादेश को शासनादेश से बदलने का नतीजा कुछ यूं होता है क्या?
इसके अलावा मनोज कुमार झा ने फैज का एक शेर को भी साझा किया और लिखा कि- निसार मैं तेरी गलियों के ए वतन कि जहां चली है रस्म की कोई ना सर उठा के चले…