CG Election: पिछले चुनाव में कांग्रेस को हुआ था फायदा
पिछली बार जब निकाय चुनाव हुआ था, तो राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। इस दौरान कांग्रेस ने निकाय चुनाव के नियमों में बदलाव किया। निकाय चुनाव में मतदान बैलेट पेपर से हुआ। इसके साथ महापौर चुनने का अधिकार जनता से वापस लिया गया। इसका फायदा कांग्रेस को हुआ। प्रदेश के सभी नगर निगमों में कांग्रेस पार्षद ही महापौर चुने गए। इस बार के निकाय चुनाव में परिस्थितियां बदल गई हैं। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार है। ऐसे में निकाय चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए कांग्रेस नए सिरे से रणनीति तैयार कर रहा है। इसलिए फार्मूले पर विचार
निकाय चुनाव में एक वार्ड से पार्षदों के लिए कई दावेदार होते हैं। एक को टिकट मिलने के बाद भितरघात की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा संगठन में वरिष्ठ नेताओं का भी थोड़ा दबाव रहता है। यदि ऐसे में फार्मूला तय किया जाता है, तो इसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। बता दें कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने फार्मूला बनाया था कि किसी भी जिलाध्यक्ष को कांग्रेस का टिकट नहीं दिया जाएगा। टिकट चाहिए, तो जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना होगा। इसके बाद विकास उपाध्याय सहित कई जिलाध्यक्षों ने इस्तीफा देकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
उपचुनाव के नतीजों पर असर
निकाय चुनाव से पहले सभी की नजर रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर टिकी हुई है। यदि इसके नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आते हैं, तो कार्यकर्ताओं को उत्साह का संचार होगा। दरअसल, दीपक बैज के प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद विधानभा, लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव हुआ है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकते हैं। हालांकि उपचुनाव के बाद इसकी संभावना कम नजर आ रही है।