कांग्रेस का अस्तित्व खतरे में इस बार सोनिया गांधी को पार्टी के 9 निष्कासित नेताओं ने चिट्ठी लिखी है। इन्हें कुछ माह पूर्व ही पार्टी से निष्कासित किया गया था। इन नेताओं में शामिल उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के पूर्व चेयरमैन सिराज मेंहदी ने कहा कि हमने कांगेस आलाकमान और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर आगे बढ़ने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हालात बहुत खराब हैं। अगर कांग्रेस ही नहीं बचेगी तो परिवारवाद कहां से चलेगा?
सिराज मेंहदी ने कहा कि हमने कांग्रेस आलाकमान से कार्यकर्ताओं को साथ लेकर आगे बढ़ने की बात कही है। हम लोगों ने सोनिया गांधी से गुजारिश की है कि पहले कांग्रेस पार्टी को मजबूत करें और उसे टूटने से बचा लें।
इतिहास बनने वाली है कांग्रेस अपने निष्कासन से नाराज कांग्रेस के इन नेताओं का कहना है कि जिस कांग्रेस ने इतिहास लिखा आज वही कांग्रेस इतिहास बनने जा रही है। इन नेताओं ने सोनिया गांधी से मिलने के लिए टाइम भी मांगा था लेकिन अभी तक समय नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी से समय न मिलने पर ये लोग दिल्ली में धरना भी दे सकते हैं।
आज से ब्लू और पिंक लाइन पर दौड़ी Delhi Metro, 28 में से 9 मेट्रो स्टेशन पर मिलेगी इंटरचेंज की सुविधा निष्कासन पर उठाए सवाल इन नेताओं का कहना है कि हम लोगों को गलत ढंग से पार्टी से निष्कासित किया गया है। यह तरीका उचित नहीं था। जानकारी के मुताबिक कुछ नए और बाहरी लोगों के आने से पुराने लोगों को पार्टी से निकाल दिया गया है।
सिराज मेंहदी ने 9 नेताओं के पार्टी के निष्कासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम लोग ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे, ऐसे में हमें उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कैसे निकाल सकती है? उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी और राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी को हमें निकालने के लिए रिकमेंड कर सकती थी, न कि निष्कासन। हमें केवल राष्ट्रीय कांग्रेस ही पार्टी से निकाल सकती है।
Prakash Javdekar : क्रांतिकारी कदम है एनईपी-2020, हर स्तर पर बदलाव को मिलेगा बढ़ावा बता दें कि अगस्त में 23 नेताओं की ओर से जारी लेटर बम से पार्टी में बवाल मचा था। पहली बार चिट्ठी लिखने वालों में गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल सहित 23 नेता शामिल थे। इन नेताओं ने पत्र लिखकर कांग्रेस नेतृत्व, पार्टी संगठन और आंतरिक चुनावों में बड़े बदलाव का आह्वान किया गया था। लेकिन सोनिया गांधी ने इन असंतुष्टों को प्रभावी ढंग से निपटा दिया है। यहां तक कि संसदीय दल में अपने नए वफादारों को शामिल कर लोकसभा और राज्य सभा में असंतुष्ट नेताओं को निष्प्रभावी कर दिया है।