चांदनी चौक का किरदार अक्षय कुमार ने कहा कि आनंद ने इस फिल्म में मेरे किरदार को रोचक तरीके से गढ़ा है। चांदनी चौक की कहानी है और मेरी ऑरीजन पैदाइश भी वहीं हुई है, ऐसे में इस कहानी के साथ जुड़ाव हो जाता है। हालांकि इस कहानी का मेरी निजी जिंदगी से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन फिर भी इससे ऐसे कनेक्ट रहता हूं कि यह मेरी ही कहानी है। यही फिल्म लिखावट की खूबसूरती है। आनंद ने सिर्फ एक दिन ही इस किरदार पर बात की, यहीं से मैंने इसे आत्मसात कर लिया, फिर अगले दिन शूट पर थे, कैरेक्टर के इमोशन के साथ आगे बहता चला गया।
सिम्प्लिसिटी का चला जादू अक्षय ने कहा कि आनंद की सिम्प्लिसिटी का मैं फैन बन गया हूं, उन्होंने यह मुझे समझाया है कि सिम्पल तरीके से भी फिल्में बनाई जा सकती है। इनकी फिल्मों में मिट्टी की खुशबू का अहसास होता है, यही लोग भी फील करते है। सच कहूं तो भाई-बहन के रिश्ते पर बनी फिल्म को लगभग 40 साल हो गए है, ऐसे में हमने इसे बड़ी शिद्दत के साथ तैयार किया है। मैंने आनंद के साथ मिलकर इसे प्रोड्यूस किया है।
अक्षय का रियल अंदाज देखकर बनाई कहानी आनंद एल राय ने कहा कि जब कहानी का थॉट आया, तब लॉकडाउन था, हम सभी घरों में कैद थे। उस समय तक मैं अक्षय के साथ एक फिल्म पूरी कर चुका था, दूसरी के बारे में सोच रहे थे। अक्षय को नजदीक से ह्यूमन बिइंग के रूप में जान चुका था, जो शुद्धता उनके अंदर है, वहीं बाहर नजर आती है। उनकी रियल लाइफ को देखकर किरदार तैयार हुआ, मैं आज यह बता रहा हूं कि यह थॉट पेंडेमिक में आया, लेकिन इंस्पायर अक्षय से हुआ। उनकी क्वालिटी की वजह से ही मैंने यह पूरी फिल्म बना दी।
मैं लोकेशन में नहीं लोगों को समझने में वक्त लगाता हूं आनंद ने कहा कि लोग मेरी फिल्मों की लोकेशन की खूब तारीफ करते है, लेकिन मेरा मानना है कि किसी भी जगह के मॉन्यूमेंट वह फील नहीं दे सकते, जो वहां के लोग महसूस करवाते है। सच मायने में वहां के लोग ही उस शहर की धड़कन होते है, जिसकी वजह से उसकी पहचान बनती है। मैं भी लोकेशन ढूंढ़ने में वक्त नहीं लगाता, वहां के लोगों को समझने में अपना वक्त लगाता हूं। लोगों के बीच सबसे ज्यादा वक्त गुुजारता हूं।
भाई से मिला प्यार और खूब गिफ्ट सादिया खतीब, दीपिका खन्ना, स्मृति श्रीकांत और सहजमीन कौर ने एक स्वर में कहा कि पूरी फिल्म शूटिंग के दौरान अक्षय से भाई के रूप में खूब प्यार मिला। अभी हम हैदराबाद जाकर आए हैं, वहां से अक्षय ने सभी को पर्ल सेट गिफ्ट दिलवाया है। ऐसे गिफ्ट हमें खूब मिले है। जब शूट पर कभी घर का खाना मिस करते थे, राजमा-चावल, तो अक्षय सर अपने घर से हम सभी के लिए लेकर आते थे। हम सभी को अक्षय और आनंद सर से बहुत कुछ सीखने को मिला। दोनों हमारे लिए एक इंस्टीट्यूट की तरह थे। आनंद सर की सिम्प्लिसिटी और अक्षय सर की एक्टिंग, कॉन्फिडेंट, जेनरेस ह्यूमन बिइंग वाला अंदाज हमारे लिए बहुत लर्निंग वाला रहा।
देश में बदलाव के कर रहे काम आनंद ने कहा कि एक फिल्ममेकर के मन में तो कहानी आती है, वह उसे सोसायटी पुश करती है। जितने दिन तक पारावारिक फिल्म नहीं बन रही थी, उस दिशा में लोग सोच ही नहीं रहे थे। सच कहें तो पिछले दो दशक से हम ऊपर वाले से ज्यादा स्मार्ट हो गए, अपने बारे में सोचने लगे, आस-पास देश सोसायटी को भूल से गए। लेकिन अब बदलाव का दौर है, अब कई फिल्ममेकर काम कर रहे है, अब सोसायटी तो चाहती है, उस पर फिल्में बनने लगी है।
जयपुर के खाने का फैन रहा हूं अक्षय ने कहा कि जयपुर से हमेशा शूटिंग के सिलसिले में ही आया हूं, यहां के खाने को लेकर कहना ही क्या। सच कहूं तो यहां के खाने के लिए बार-बार आने का मन करता है। आज भी प्यार की कचौरी और लस्सी हमारे हाथ में है।