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रायपुर

सोशल मीडिया का एडिक्शन परिवार में टेंशन! अब तक 500 से ज्यादा नाबालिगों ने छोड़ा अपना घर, वजह जानकर हो जाएंगे दंग

Raipur News: सालभर में शहर के अलग-अलग इलाकों से 500 से ज्यादा नाबालिगों ने अपना घर छोड़ा है। पुलिस ने उन नाबालिगों को दूसरे शहरों से ढूंढकर वापस उनके परिजनों को सौंपा है। हालांकि कई नाबालिगों का अब तक पता नहीं चल पाया है।

रायपुरJan 22, 2025 / 12:41 pm

Khyati Parihar

Chhattisgarh News
Chhattisgarh News: रायपुर पत्रिका@ नारद योगी। शहर के अधिकांश नाबालिग अपने परिवार से ज्यादा समय मोबाइल और सोशल मीडिया को दे रहे हैं। इसके चलते घर छोड़ने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।

सालभर में शहर के अलग-अलग इलाकों से 500 से ज्यादा नाबालिगों ने अपना घर छोड़ा है। पुलिस ने उन नाबालिगों को दूसरे शहरों से ढूंढकर वापस उनके परिजनों को सौंपा है। हालांकि कई नाबालिगों का अब तक पता नहीं चल पाया है। घर छोड़ने में नाबालिग लड़कियों की संख्या अधिक होती है। नाबालिगों के घर छोड़ने के अधिकांश मामलों में सोशल मीडिया के दोस्त, अफेयर, पढ़ाई नहीं करने पर डांट, घूमने-फिरने से मनाही आदि प्रमुख कारण रहे हैं।

433 नाबालिगों की घर वापसी कराई

रायपुर जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच कुल 541 नाबालिग लडके-लड़कियों ने अपना घर छोड़ा था या उन्हें बरगला कर ले जाया गया। इनमें से 433 नाबालिगों को पुलिस ने रायपुर के अलावा दूसरे शहरों और राज्यों से ढूंढकर बरामद किया है। इसके बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया। हालांकि 100 से अधिक नाबालिगों की अब भी तलाश चल रही है। उनका पता लगाया जा रहा है।

मोबाइल-सोशल मीडिया बड़ा जरिया

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की स्थिति के लिए सोशल मीडिया और मोबाइल बड़ी वजह बन रहा है। सोशल मीडिया में नाबालिग कई अनजान लोगों से भी दोस्ती करते हैं। उनका दायरा अपने मोहल्ले के दोस्तों के अलावा दूसरे शहर के लोगों से भी होने लगा है। ऐसे लोगों के बहकावे में ही कई लोग घर छोड़ देते हैं। इसके अलावा मोबाइल होने के कारण दिनरात अपने दोस्तों के संपर्क में रहते हैं। कहीं भी आने-जाने के लिए एक-दूसरे की मदद करते भी करते हैं। शहर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें सोशल मीडिया से बने दोस्तों के कहने पर नाबालिग घर छोड़ चुके हैं।
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इसलिए सत प्रावधान

नाबालिगों के लापता होने के मामलों को लेकर कानून में कड़े प्रावधान हैं। पहले इसे गुमशुदा का मामला माना जाता था, लेकिन अब इसे अपहरण का मामला मानते हैं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 137 में अपहरण के अपराध के बारे में बताया गया है। इसमें किसी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना उसके माता-पिता या कानूनी रुप से वैध अभिभावक जैसे दादा-दादी-नाना नानी व अन्य से बहला-फुसला कर दूर ले जाते हैं। इस अपराध को करने के लिए आरोपी द्वारा बल, धोखाधड़ी या छल का भी प्रयोग किया जा सकता है।
केस-1 : आरंग इलाके की 11वीं की छात्रा 7 दिसंबर को बिना बताए घर से कहीं चली गई। परिजनों ने खूब तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। आशंका है कि उसे कोई बहला-फुसला कर साथ ले गया है। आरंग पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। छात्रा की तलाश की जा रही है।
केस-2 : रविवि की छात्रा के इंस्टाग्राम के जरिए कई दोस्त बने थे। अक्सर उनसे लंबी बातचीत होती थी। अचानक छात्रा ने हॉस्टल छोड़ दिया और कहीं चलीं गई। करीब 20 दिन तक परिजन परेशान रहें। उनका कुछ पता नहीं चल पाया। बाद में पुलिस ने उसे यूपी से बरामद किया।
केस-3 : उरला इलाके के दो नाबालिग घर छोड़कर चले गए। देर शाम तक कुछ पता नहीं चला, तो पुलिस ने अपराध दर्ज कर तलाश शुरू की। बाद में खुलासा हुआ कि दोनों नाबालिग डोंगरगढ़ चले गए थे। उन्हें सकुशल उनके परिजनों के हवाले किया गया।

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