सात से अधिक जिलों में स्क्रब टायफस
स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान जबलपुर की लैब द्वारा पन्ना सहित सतना, दमोह, सीधी, सिंगरौली, बालाघाट, जबलपुर आदि जिलों में स्क्रब टायफस के प्रकरण दर्ज किये गये हैं। जिसके चलते इन जिलों सहित प्रदेशवासियों को अलर्ट किया गया है, कि वे इस बीमारी से बच कर रहें। जिन लोगों में ये बीमारी पाई गई है, उनका उपचार चल रहा है।
ये है स्क्रब टायफस
यह बीमारी ओरियेन्टा सुत्सुगेमुसी नामक जीवाणु से होती हैं। यह जीवाणु चूहों के ऊपर रहने वाले माइट (घुन) के संक्रमित लार्वा से होता है। मनुष्य को चूहों पर रहने वाले माइट (धुन) के ओरियेन्टा सुत्सुगेमुसी नाम जीवाणु से संक्रमित लार्वा मनुष्य के जिस स्थान पर काटता है। वहां पर दाना उठता है जो बाद में जख्म बनकर सुखने के बाद काला धब्बे के समान दिखाई देने लगता हैं।
जानिये बीमारी के लक्षण
शरीर पर काला धब्बा नजर आने के साथ ही बुखार, सिरदर्द, जोड़ एवं मांस पेशियों में दर्द, प्रकाश की तरफ देखने में तकलीफ, खांसी, शरीर के कुछ भागों में दाने निकल आते हैं। कुछ लोगों को बीमारी का प्रभाव बढऩे से निमोनिया एवं मस्तिष्क ज्वार भी हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण 02 सप्ताह तक रह सकते हैं।
एलाईजा टेस्ट से होगी पुष्टि
स्क्रब टाइफस की बीमारी की पुष्टि एलाईजा टेस्ट द्वारा आई. सी. एम. आर. जबलपुर लैब में उपलब्ध जांच रक्त के सेम्पल से की जानी हैं।
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स्क्रब टायफस से बचने के उपाय
-खाने-पीने की वस्तुओं को चूहों की पहुंच से दूर रखें, यदि खाद्य पदार्थ चूहों के सम्पर्क में आया हो तो उसका सेवन नहीं करना चाहिए।
-घर के आस पास चूहों की आबादी बढऩे से रोकने के लिए स्थानीय उपाय करें।
-खेत, जंगल- झाडिय़ों में जब भी जाएं तो पूरे कपड़े पहन कर जाएं।
-घास फूंस एवं झाडिय़ों पर बैठे या सोए नहीं तथा घर के आसपास नजर आ रही घास फूंस एवं झाडिय़ों को काट कर जला देवें।
-शरीर को साबुन से धोएं और मोटे कपड़े से रगड़ कर साफ करें। शरीर पर सिगरेट के जले जैसे दिखने वाले चिन्ह, सिर दर्द, शरीर दर्द, जोड़ो एवं मांसपेशियों में दर्द, तेज बुखार एवं उल्टी दस्त के लक्षण होने पर तत्काल चिकित्सक को दिखाए।