उन्होंने बताया कि इस यान को चन्द्रमा पर उतारने का बड़ा उद्देश्य यह था कि हम किसी अन्य ग्रह या उपग्रह पर पहुंच सकते हैं, जिसमें हम सफल रहे। यह ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने बताया कि पहला चन्द्रयान 2 के ऑरबिट को ही चन्द्रयान 3 में उपयोग किया गया था। इसके दो अन्य भाग विक्रम लैंडर व प्रज्ञान रोवर है।
उन्होंने बताया कि प्रज्ञान रोवर चन्द्रमा पर 14 दिन सूर्य की रोशनी पहुंचने के कारण सूर्य से ऊर्जा लेगा और वहां से केमिकल व मिट्टी के साथ अन्य चीजों की जानकारी भेजेगा। इसका समय अभी 14 दिन का ही रखा गया है। इसके बाद इसरो चाहे और सभी उपकरण सही कार्य करें तो रोशनी मिलने पर फिर से इस प्रज्ञान रोवर से जानकारी ली जा सकती है।
उन्होंने बताया कि इसके बाद इसरो की ओर से दो मिशन भेजने की तैयारी है। इनमें एक आदित्य एल-1 व दूसरा एरआइएसआर है। एनआइएसआर इसरो व नासा का संयुक्त मिशन है, जिसमें सेटेलाइट को श्रीहरिकोटा से लांच किया जाएगा। वहीं आदित्य एल-1 सूर्य से आने वाली किरणों और प्लाज्मा आदि के अध्ययन के लिए भेजा जाएगा, जो सूर्य व पृथ्वी के बीच एल-1 नाम दिए गए स्थल पर रहेगा।