हालांकि पाकिस्तान के पीएम ने ईरान में जो भी बोला, सच बोला, लेकिन उनके इस बयान पर विपक्ष ने जमकर हंगामा मचाया। नेशनल असेम्बली में मानवाधिकार मंत्री डॉ शिरीन मजारी ने प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए कहा कि उनके बयान को संदर्भ से बाहर ले जाया जा रहा है। सोमवार को ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए इमरान खान ने एक बोल्ड स्टेटमेंट देते हुए कहा था, “मुझे पता है कि ईरान पाकिस्तान से संचालित समूहों द्वारा आतंकवाद से पीड़ित है। लेकिन अब हमें एक दूसरे पर भरोसा करने की आवश्यकता है। दोनों देश अपनी जमीन से अब किसी भी आतंकवादी गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे। हमें उम्मीद है कि इससे हमारे बीच विश्वास कायम होगा।”
पाकिस्तानी मीडिया का दावा: यह चुनाव मोदी के लिए नहीं है आसान !
पाकिस्तान में हमलावर हुआ विपक्षहंगामा तब शुरू हुआ जब पीएमएल-एन के खुर्रम दस्तगीर खान ने ईरान के खिलाफ पाकिस्तान की धरती के इस्तेमाल को लेकर प्रधानमंत्री के कथित बयान की ओर सदन का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि अब तक के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने विदेशी धरती पर ऐसी कोई बात कबूल नहीं की है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पहले ही इस्लामाबाद के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के निष्कर्षों पर कार्रवाई का मन बना चुका है।ऊपर से पीएम का यह बयान देश की छवि को और धूमिल करेगा। पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी ने कहा कि एक पीएम का ऐसा बयान बेहद गैर जिम्मेदाराना है। उन्होंने सदन को याद दिलाया कि कि इमरान खान ने पहले सुझाव दिया था कि भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का फिर से चुनाव जीतना कश्मीर समझौते के लिए अहम और मददगार होगा। पीएमएल-एन नेता ने आरोप लगाया, “प्रधानमंत्री इमरान खान ने कूटनीतिक भूलों को जन्म दिया है। उन्होंने अपने बयानों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को चोट पहुंचाई है।”
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